1 - होइए वही जो राम रची राखा। , 2 - जो होता है अच्छे के लिए होता है।
ये दोनों लाइनें आज एक बार फिर सिद्ध हो रही हैं, क्योंकि विधर्मी रक्षशों ने हर प्रकार से प्रयास किया रामचरितमानस को बदनाम करने का, लोगों के मन में रामचरितमानस के प्रति अविश्वास पैदा करने का, लेकिन हुवा बिलकुल उल्टा...
प्रगति मैदान दिल्ली में 2 वर्षों बाद विश्व पुस्तक मेला लगा जिसमें गीता प्रेस गोरखपुर की रामचरितमानस की रिकॉर्ड बिक्री हुई। 300 से लेकर 1600 तक की रेंज में मिलने वाली इन पुस्तकों को धर्मप्रेमियों ने जानकर खरीदा।
प्रकाशकों और पाठकों ने बताया की बीते दिनों जो राजनीतिक हो हल्ला हुवा उसके बाद लोगों में अपने शास्त्र को पढ़ने और उसे समझने को जिज्ञासा जगी और लोगों ने पुस्तक खरीदी। खास बात ये हैं को पुस्तक मेले में आ रहे पाठकों में सबसे बड़ी संख्या युवाओं की है।
साहित्यप्रेमियों के चेहरे पर खिली मुस्कान
विश्व पुस्तक मेले में दुनियाभर के टॉप लेखकों की किताबें लोगों के आकर्षण का केंद्र बन रही हैं। यहां लगे अलग-अलग प्रकाशकों के स्टॉलों पर हर आयुवर्ग के लोग अपनी पसंद की किताबें खोजते नजर आ रहे हैं। खास बात यह है कि युवा हों या बुजुर्ग सभी की रूचि रामचरितमानस को लेकर काफी देखी जा रही है। बड़े से बड़े लेखकों की पुस्तकों से ज्यादा रामचरितमानस की डिमांड है। विश्व पुस्तक मेले में गोरखपुर की गीता प्रेस के स्टॉल पर पाठकों की सबसे ज्यादा भीड़ दिख रही है और लोग यह धार्मिक ग्रंथ खूब खरीद रहे हैं।
गीता प्रेस से जुड़े लोगों के मुताबिक यहां रामचरितमानस तीन अलग-अलग आकारों में उपलब्ध है। जिनकी कीमत 300 से लेकर 1600 रूपए है। इस ग्रंथ के अलावा अन्य धार्मिक पुस्तकों की तरफ भी लोगों की खासी रूचि देखने को मिल रही है। वाल्मीकि रचित रामायण और श्रीमदभगवद गीता को लोग खूब खरीद रहे हैं। धर्म, ज्ञान और आध्यात्म से जुड़ी पुस्तकों की ओर लोगों का अच्छा रूझान है।
दो हजार स्टॉलों पर लाखों पुस्तकें
केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने विश्व पुस्तक मेले का शनिवार को उद्घाटन किया था। इसके साथ ही दो साल से अपनी मनपसंद पुस्तकों का इंतजार कर रहे साहित्यप्रेमियों की भीड़ यहां उमड़ना शुरू हो गई। दुनिया के कोने-कोने के नामचीन लेखकों के अलावा प्राचीन व दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह लोगों को काफी पसंद आ रहा है। यहां करीब दो हजार स्टॉल लगे हुए हैं, जिनमें लाखों किताबें लोगों को खूब पसंद आ रही हैं।
निष्कर्ष : निष्कर्ष यही है की विरोधियों और विधर्मियों को जवाब देना है तो सबसे उत्तम तरीका यही है की वो जिसका विरोध करते हैं पहले उसे जड़ से समझा जाय और फिर इसी प्रकार उसका उत्तर दिया जाय जैसे रामचरितमानस की रिकॉर्ड बिक्री से रामचरितमानस मामले में दी जा रही है।