पलामू झारखंड में हिंदू सुरक्षित नहीं, क्योंकि कट्टरपंथियों को सरकार और प्रशासन की सह, और हिंदुओं को किया जा रहा परेशान
पलामू में हुई हिंसा पर रोज नए-नए सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं यह केवल दो गुटों की लड़ाई नहीं रह गई बल्कि यह एक सुनियोजित षड्यंत्र से के रूप में सामने आ रहा है और सरकार तथा प्रशासन की भी मिलीभगत की बातें कही जा रही है
स्थानीय लोगों का कहना है कि इसकी प्लानिंग बहुत पहले से बनाई जा रही थी और महाशिवरात्रि के लिए बनाए जा रहे तोरण द्वार का बहाना मिल गया
लोगों का कहना है कि मस्जिद के लगभग 200 मीटर दूर में एक हनुमान मंदिर है जहां पर हर मंगलवार आरती हो रही थी और उसकी बढ़ती महिमा के कारण भीड़ भी बढ़ती जा रही थी एक समय तो ऐसा आया कि आरती के समय मंगलवार को वहां लगभग 200 लोग इकट्ठा होने लग गए और यही इन कट्टरपंथियों की सबसे बड़ी समस्या बन गई
मंदिर में आरती और भजन के लिए दो लाउडस्पीकर क्या लगाए गए मस्जिद कमेटी के सर में दर्द होने लग गया और उस मस्जिद के लोग पुलिस में कंप्लेंट करते हैं जिसमें लगभग 36 लाउडस्पीकर लगे हुए हैं। जी हां 36 लाउडस्पीकर जिनसे दिन में 5 बार अजान होती रही लेकिन कभी भी हिंदुओं ने कंप्लेंट नहीं की लेकिन जैसे ही मंदिर में केवल दो लाउडस्पीकर लगाए गए मस्जिद कमेटी के लोगों ने पुलिस में कंप्लेंट कर दी।
यही है भाईचारा यही है सर्वधर्म समभाव? ये बात कब समझेंगे हिंदू?
हिंदुओं के आग्रह को मस्जिद कमिटी के लोग नहीं माने और एनामुल, महबूब आदि थाने में लगातार शिकायत देते रहे। इतना ही नहीं, नमाज के वक्त लाउडस्पीकर का वॉल्युम भी फुल कर दिया जाता था। इससे लोगों को कई तरह की परेशानी होने लगी। नाम नहीं बताने की शर्त पर एक स्थानीय दुकानदार ने बताया कि नमाज की आवाज के कारण दुकान में कस्टमर से बात करना मुश्किल हो जाता था। इधर शिकायत और दबाव के बाद पुलिस हिंदुओं को थाने बुलाने लगी।
ओपिंडिया की रिपोर्ट के अनुशार इसी बात पर आगे चलकर मस्जिद कमिटी के लोगों द्वारा हिंसा को अंजाम दिया गया। हिंसा के लिए हारुन नाम के व्यक्ति के टैक्टर से हिंसा से एक दिन पहले ईंट-पत्थर जुटाए गए थे और उन्हें घरों और मस्जिद की छतों पर रखा गया था। हिंसा के दिन इन्हीं छतों से पथराव किया था।
लोगों का कहना है कि आसपास का सवर्णों का इलाका नहीं है, इसलिए मुस्लिम लगातार वहाँ के हिंदुओं को प्रताड़ित और परेशान करते रहते हैं। हिंदुओं के त्योहारों से लेकर उनकी शादी-ब्याहों में खलल डालते रहते हैं। इस कारण वहाँ के हिंदुओं को डर के साए में जीना पड़ता है।
एक अन्य स्थानीय व्यक्ति ने ऑपइंडिया को बताया कि लगभग एक साल पहले केरल से एक मुस्लिम यहाँ मस्जिद के मदरसे में आकर रहता था। उसकी गतिविधियाँ संदिग्ध थी। इसकी सूचना लोगों ने पुलिस को दी और पुलिस उस मौलवी को गिरफ्तार करके ले गई। लोगों का कहना है कि वह कट्टरपंथी बनने की ट्रेनिंग दे रहा था।
बता दें कि पांकी हिंसा में एक और बाहरी मुस्लिम को गिरफ्तार किया गया है। दंगों में शामिल रजीउल्लाह को पुलिस छत्तीसगढ़ के बलरामपुर का रहना वाला है। स्थानीय हिंदुओं को शक है कि रजीउल्लाह भी कट्टरपंथी हो सकता है, जो मदरसा के छात्रों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रहा होगा।
पांकी बाजार में घटी घटना को कमलेश सिंह ने गज़वा-ए-हिन्द का ट्रायल बताया। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी पूरे देश में अपनी ताकत को तौल रहे हैं और जहाँ कमी-अधिकता है, उसकी तैयारी कर रहे हैं।
ये तो हुई कट्टरपंथियों की बात लेकिन प्रशासन भी हिंदुओं के विरुद्ध कार्य कर रहा है और हिंसा करने वालों को संरक्षण दे रहा है।
पलामू में पुलिस प्रशासन के एकतरफा कार्रवाई से हिंदू इस तरह भयभीत हैं कि अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहते हैं। नाम उजागर न करने की शर्त पर एक स्थानीय व्यक्ति ने ऑपइंडिया को बताया कि ना सिर्फ हिंदू पुरुषों के साथ मारपीट की जा रही है, बल्कि पुरूष पुलिसकर्मी घरों में जबरन घुसकर महिलाओं के साथ बदतमीजी, मारपीट और गाली-गलौच कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि पुलिस उन हिंदुओं के घरों के दरवाजे तोड़कर अंदर घुस रही है, जो डर से दरवाजा नहीं खोल रहे हैं। इतना ही नहीं, लोगों का यहाँ तक कहना है कि जिन हिंदुओं को पुलिस जबरन उठाकर ले जा रही है, उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा भी जा रहा है। इन लोगों में ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिन्हें इस हिंसा से कोई मतलब नहीं है और नहा ही वे घटना के वक्त मौजूद थे।
स्थानीय लोगों ने ऑपइंडिया को बताया कि प्रशासन द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। इलाके के ज्यादातर हिंदू लड़के अपने घरों से फरार है। ज्यादातर हिंदुओं के घरों के पुरुष पुलिस के डर से घर छोड़कर भाग गए हैं और अपना मोबाइल आदि बंद करके इधर-उधर छिपने के लिए बाध्य हैं।
एक टीवी पत्रकार को भी पुलिस ने पीटा है। कहा जा रहा है कि उसकी इतनी पिटाई की गई है, अब उसे साँस लेने में दिक्कत हो रही है। वहीं, एक शिक्षक के घर में घुसकर उनके साथ मारपीट करने का पुलिस पर आरोप लगा है। लोगों का कहना है कि पुलिस हिंदुओं को प्रताड़ित कर रही है, जबकि मुस्लिमों को सुरक्षा दे रही है। हालाँकि, जिला प्रशासन ने ऐसी किसी घटना से इनकार किया है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि हिंसा फैलने के बाद भी पुलिस प्रशासन ने हिंदुओं पर ही लाठी चार्ज कर दिया था। इसमें भी कई हिंदुओं को चोट लगी है। लोगों का कहना है कि हिंसा की शुरुआत मस्जिद से हुई थी और मुस्लिमों के घरों से हुए पथराव में पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। इसके बावजूद अपराधियों को पकड़ने के बाद पुलिस उन्हें सुरक्षा दे रही है।
लोगों का कहना है कि जिस चौक पर तोरणद्वार को लेकर हिंसा हुई, उसका नाम भगत सिंह चौक है। वहाँ भगत सिंह की प्रतिमा भी लगी है। हालाँकि, मुस्लिम उसे मस्जिद चौक कहने लगे और लिखने लगे। वे इसे मस्जिद चौक के नाम से प्रचारित करते हैं।
देश भर के खासकर गैर भाजपा राज्यों के हिंदुओं को
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