पृथ्वी लोक को भगवान वराह (विष्णु अवतार) द्वारा बचाने की कहानी जो आपकी सभी शंकाए दूर करेगी
पुराणों में जब विष्णु भगवान ने वराह का रूप लिया था। तब उन्होंने पृथ्वी को समुद्र की गहराई से बचाकर बाहर निकाला था तो आप हमें यह बताएं कि पृथ्वी आखिर समुद्र में कैसे डूबी क्योंकि समुद्र तो पृथ्वी में ही है तो पृथ्वी कौन से समुद्र में डूबी थी?
पहली बात ये है कि किसी भी पुराण में ये नहीं लिखा है कि हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र में छिपाया था। दशावतार की कथा सबसे विस्तार में विष्णु पुराण में मिलती है। इसके अतिरिक्त 24000 श्लोकों वाले वाराह पुराण भी इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। दोनों ग्रंथों में साफ़-साफ लिखा है कि हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को "रसातल" में छिपा दिया।कुछ स्थानों पर ऐसा भी वर्णन है कि हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को सातवें पाताल, जिसका नाम पाताल ही है वहाँ छिपा दिया था। किन्तु अधिकतर स्थानों पर रसातल का नाम ही वर्णित है। ऐसा माना जाता है कि रसातल में "पणि" नामक दैत्यों का वास है जिन्हे निवातकवच, कालिकेय एवं हिरण्यपुरवासी के नाम से भी जाना जाता है। ये सभी देवताओं के घोर शत्रु माने जाते हैं। हिरण्याक्ष ने इसी कारण पृथ्वी को रसातल में छिपाया था ताकि देवता यहाँ आकर उनकी रक्षा ना कर सकें।
अब प्रश्न ये आता है कि ये समुद्र वाली बात कहाँ से आयी? ये भी हमारी समझ का ही फेर है। कहा जाता है कि ये सभी 14 लोक शून्य तक फैले "खौगोलिक सागर" का भाग हैं। इसी कारण कुछ स्थानों पर ये लिख दिया गया कि हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को "खौगोलिक समुद्र" में छिपा दिया। ध्यान दें, खौगोलिक सागर, ना कि पानी वाला सागर। इस खौगोलिक सागर को ही कुछ विद्वान "भव सागर" भी कहते हैं। समय के साथ-साथ हमने गलती से इसे केवल "सागर" मान लिया और ये समस्या उत्पन्न हुई।
इसमें समस्या इस घटना के बाद की घटना के कारण भी हुई। लिखा है कि पृथ्वी को भव सागर में छिपाने के बाद हिरण्याक्ष जल के देवता वरुण को युद्ध की चुनौती देता है जो उसे हंस कर टाल देते हैं। तभी हिरण्याक्ष देखता है कि एक वाराह पृथ्वी को अपने दाढ़ में उठा कर भव सागर या खौगोलीय सागर से निकाल कर उनके अपने स्थान पर ले जा रहे हैं। तब हिरण्याक्ष उनपर आक्रमण कर देता है।
जब भगवान वाराह पृथ्वी को उसके अपने स्थान पर ले जा रहे थे उस समय हिरण्याक्ष वरुण लोक में ही था। अब चूँकि वरुण जल के देवता हैं इसी कारण लोगों को लगा कि भगवान वाराह पृथ्वी को सागर से निकाल कर ला रहे हैं।
तो सदैव ध्यान रखें कि हिरण्याक्ष द्वारा पृथ्वी को सागर में नहीं अपितु रसातल या खौगोलीय/भव सागर में रखा गया था। समय के साथ हमें ये ग़लतफ़हमी हो गयी कि वो सागर था। ये वैसा ही है जैसे हमें आज कल अपने अधिकतर धर्म ग्रंथों में ग़लतफ़हमी हो जाती है।
आशा है कि आपकी जिज्ञासा का समाधान हो गया होगा। यदि पसंद आये तो औरों को भी ये सत्य बताएं। जय भगवान वाराह देव
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
प्रशासक समिति धर्म जागरण किट :
https://www.prashasaksamiti.com/p/vission.html