धर्म अफीम है और सरकार इसके सस्ते नशे में धुत्त...
उपरोक्त शीर्षक के साथ धर्म के विरुद्ध बरगलाने वाली हैं उपमिता वाजपेई, संपादक भोपाल (दैनिक भास्कर)।
यदि आप इनके इस आर्टिकल को जो बात बेबाक के चैप्टर में डाला गया है, उसे पूरा और ध्यानपूर्वक पढ़ेंगे तो साफ साफ पता चलेगा की ये कोई निष्पक्ष पत्रकारिता नहीं और ना ही इन्हें वास्तव में कोई दर्द है उन लोगों के मरने का जो सीहोर में हुए हादसे के कारण मारे गए या घायल हो अपितु इस आर्टिकल में इन्होंने अपने भीतर छुपी हिंदू विरोधी भावनाओं का प्रदर्शन किया। यह हो सकता है हिंदुओं के विरुद्ध जहर उगलने के लिए कहीं से कॉन्ट्रैक्ट मिला हो?
आर्टिकल में पता चलेगा कि इन्हें राम राम बोलने वाले पुलिस वालों से परेशानी है इन्हें सनातन धर्म की मुखरता से बात करने वाले और हिंदू राष्ट्र भारत की मुहिम को छेड़ने वाले बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी से भी परेशानी है, इन्हें पंडित प्रदीप मिश्रा जी से भी भयानक समस्या हुई क्योंकि उन्होंने 2 दिन में लगभग 20 लाख की भीड़ इकट्ठी कर ली खैर दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसमें भगदड़ मची और कुछ लोगों ने अपने प्राण गवा हैं और कुछ लोग घायल हुए, इन्हें सभी सनातनी धर्म गुरुओं से जिन्हें हम श्री श्री 1008 या श्री श्री 108 इस प्रकार संबोधित करते हैं उनसे भी परेशानी है
अब वास्तव में देखा जाए तो ना तो इनको और ना ही इनके आकाओं को धर्म का थोड़ा सा भी ज्ञान है, इन्हें केवल वामपंथ का जहर पिलाया गया और उसी जहर को यह चीज भी फील्ड में होते हैं उसमें बांटते हैं। इनके आका कार्ल मार्क्स में भी धर्म को अफीम जर्मनी में और जर्मनी के संदर्भ में कहा था लेकिन ये वामपंथी, धर्मद्रोह अब इसका प्रयोग केवल हिंदुओं के विरोध करते हैं (खैर इसमें भी एक अच्छी बात है की वामपंथी भी मानते हैं की धर्म केवल सनातन है बाकी तो धर्म की संज्ञा में आते ही नहीं)
लेकिन मुख्य बात यह है कि यह वामपंथी उस जहर को केवल सनातन धर्म को के विरुद्ध ही उपयोग करते हैं क्योंकि इन्हें पता है उनकी तरफ से कोई खास प्रतिकार नहीं होगा और यदि हुआ भी तो माफी मांग कर बचा जा सकता है। यदि ये वाकई पत्रकार या निष्पक्ष होते तो मजहबी ठेकेदारों के कारनामों पर भी कभी आवाज उठाते, खैर उसके बाद ये संभवत आवाज उठाने लायक नहीं होते ऐसा इन्हें भान है।
यानी कहीं ना कहीं कमी सनातनीयों कि है जो इन्हें माफ कर देते हैं, जो इनके हर दुस्साहस को या तो इग्नोर करते हैं या क्षमा कर देते हैं। खैर सरकार और प्रशासन से भी ज्यादा आशा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि सरकार भी पत्रकारों के विरुद्ध जल्दी से कोई कड़ा कदम नहीं उठाती क्योंकि हम जानते हैं कि सरकार किसी की भी हो लेकिन उसमें ऐसे लोग होते हैं जिनके काले चिट्ठे इन पत्रकारों के पास भी हो सकते हैं इसलिए वह इनसे थोड़ा बचकर ही रहने की कोशिश करते हैं।
फिर भी हमें अपने धर्म के विरुद्ध बोलने वालों के खिलाफ कार्यवाही करवाने की कोशिश तो करनी ही चाहिए जो जमीन पर सामर्थ्य रखता है वह ग्रुप में पुलिस चौकी जाकर ऐसे लोगों के विरुद्ध f.i.r. लिखवाए और कार्यवाही की मांग करें तथा जो लोग सोशल मीडिया पर कार्यरत हैं वह सोशल मीडिया पर इनके विरुद्ध मुहिम चलाएं अथवा जो इनके विरुद्ध मुहिम चलाएं उसका सहयोग करें
प्रशासक समिति ने आज मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा जी और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी को टैग करते हुए दैनिक भास्कर की संपादक उपनिता के विरुद्ध कार्यवाही के लिए ट्वीट किया है सभी सनातनी उसपर रिट्वीट कर कार्यवाही की इस कोशिश में सहयोग करें
https://twitter.com/OfficialTeamPs/status/1627505338038767617?t=ndfI3BqGaXKitTRipB6dug&s=19
दर्द कहां तक झेला जाय, युद्ध कहां तक टला जाए।
तू भी है राणा का वंशज ,फेंक जहां तक भाला जाए।।
उठो सनातनियों जागी और एकजुट होकर धर्मद्रोहियों का विरोध करो चाहे वो कोई भी हो और ऐसा विरोध करो की दुनिया के हर व्यक्ति तक विरोध की आवाज पहुंचे।