🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि 01:33 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅दिनांक - 23 फरवरी 2023
⛅दिन - गुरुवार
⛅शक संवत् - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वसंत
⛅मास - फाल्गुन
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - उत्तरभाद्रपद प्रातः 04:50 तक तत्पश्चात रेवती
⛅योग - शुभ रात्रि 08:58 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅राहु काल - दोपहर 02:20 से 03:47 तक
⛅सूर्योदय - 07:07
⛅सूर्यास्त - 06:40
⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:28 से 06:18 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:27 से 01:17 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी
⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹 वसंत ऋतू की व्याधियों में उपयोगी प्रयोग 🔹
🔸१] सूखी खाँसी : तवे पर भुने हुए अलसी के बीजों का आधा चम्मच चूर्ण शहद में मिला के चाटने से लाभ होता है ।
🔸२] कफवाली खाँसी : त्रिफला (हरड, बहेड़ा व आँवला), त्रिकुट (सोंठ, काली मिर्च व पीपर) समभाग ले के पीस लें । १ ग्राम चूर्ण को शहद मिला के चाटने से फायदा होता है ।
🔸३] सर्दी-जुकाम : एक गिलास गुनगुना पानी ऐसे पियो जैसे चाय या दूध पीते हैं, २-४ दिन में सर्दी-जुकाम गायब ! हो सके तो उसमें थोडा संतकृपा चूर्ण डालें, चमत्कारिक फायदा होगा ।
🔸४] गर्मी के कारण होनेवाला सिरदर्द : जौ का आटा पानी में घोल के ललाट पर लगाने से आराम मिलता है ।
🔹लाभकारी औषधियाँ🔹
🔸खाँसी में : कफ सिरप, अडूसा अर्क, सितोपलादि चूर्ण ।
🔸 सर्दी-जुकाम में : अडूसा अर्क, तुलसी अर्क, अमृत द्रव, योगी आयु तेल, संतकृपा चूर्ण ।
🔹परीक्षा में सफलता के लिए🔹
👉 समय-नियोजन : कब क्या करना – इसका नियोजन करने से सब कार्य सुव्यवस्थित होते हैं | अत: हर विद्यार्थी को अपनी समय-सारणी बनानी ही चाहिए ।
👉जप, त्राटक, सत्संग-श्रवण,ध्यान, पढ़ाई, खेल,भोजन, नींद आदि का समय निश्चित करके समय-सारणी बना लें ।
👉रात को देर तक न जाग के सुबह जल्दी उठकर पढ़ें ।
👉 पाठ्यक्रम के अनुसार प्राथमिकता तय करें, जिससे सभी विषयों का अध्ययन हो सके । सुनियोजन सर्व सफलताओं की कुंजी है ।
🔹नौ व्यक्तियों का आप विरोध मत करिये🔹
👉 आपको जो रसोई बना के खिलाते हैं उनका विरोध लम्बे समय मत करिये । न जाने कुभाव से वे कुछ खिला दें तो ? तुरंत अपने रसोइये से समझौता कर लेना चाहिए ।
👉 आप शस्त्रहीन है और सामने शस्त्रधारी है तो उससे अकेले में विरोध मत करिये ।
👉 जो आपके जीवन के रहस्य, मर्म जानते हों, उनसे भी आपको नहीं भिड़ना चाहिए ।
👉 अपने स्वामी, बड़े अफसर, बड़े अधिकारी से भी नहीं भिड़ना चाहिए ।
👉 मूर्ख मनुष्य से भी नहीं भिड़ना चाहिए ।
👉 धनवान, सत्तावान और वैद्य ( डाक्टर ) से भी नहीं भिड़ना चाहिए ।
👉 कवि और भाट से भी न भिड़ें, नहीं तो ये आपका कुप्रचार करेंगे ।
🌹 लेकिन आप संत हैं तो ? आपका तो स्वभाव नहीं है भिड़ने का, फिर भी कोई कुछ करता है तो सम रहकर सब परिस्थितियों के बाप स्वरूप ईश्वर में रहना चाहिए । यह दसवीं बात मैंने मिलायी है ।
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