🕉️ चमत्कार आखिर है क्या ??
सामान्यतः परा भौतिकी सिद्धियों को हम चमत्कार के रूप में लेते है। लेकिन कुछ आध्यात्मिक चमत्कार भी हमारे सनातन में होते है ।
उसे यों समझे 👇 :
ये फिल्मवाले , कपड़े उतारकर गंदगी दिखाते है , फिर भी अब उनकी फिल्म देखने कोई नहीं जाता।
👍 इसके उलट 25 वर्ष का एक युवक, और ऐसे कई तेजस्वी युवक सदियों से चली आ रही एक ही कथा सुनाते हैं, बार बार सुनाते हैं।
लाखों लाख लोग निःशब्द, मंत्रमुग्ध, चित्रलिखे सा सुनते रहते हैं उन्हें । कथा अनुसार झूमते हैं , हँसते हैं , गाते हैं , रोते हैं।
कथाओं /रामलीलाओ में ,सबको यहाँ सब पता होता है , फिर भी, हर बार श्रद्धालु उसी ईश्वर से प्रार्थना करते रहते हैं कि : हे प्रभु- धनुष टूट ही जाय। जनक किशोरी की मनोकामना पूरी हो। धड़कते हृदय से राम युद्ध कथा सुनते रहते हैं और कामना करते रहते हैं कि विजय श्रीराम की ही हो।
😥बनवास की कथा पर रोते हैं।
राजतिलक पर हँसते हैं।
केकई को कोसते हैं।
केवट को सराहते हैं।
माता शबरी के सामने सर झुकाते हैं।
जटायु में अपने पिता को पाते हैं।
रावण को गरियाते हैं।
मेघनाद के मृत्यु की कामना करते हैं ….
👌🏽ऐसा हर बार, बार-बार करते हैं। आजन्म करते रहते हैं। पीढ़ियां यही करती हैं । फिर भी नहीं अघाती।
बाबा गोस्वामी भी विस्मय से भर कर कह उठते हैं -
राम चरित से सुनहिं अघाही,
रस विशेष जाना तिन्ह नाही…
भक्तजन, अपना सुविधा संपन्न AC घर छोड़ कर , वही एक कथा सुनने खुले आसमान नीचे पड़े रहते हैं। धनपति भी, गरीब भी
रामायण की कथा हो , या भागवत की कथा हो , कथा सुनने , सुनते रहने। बार बार सुनने …. आते रहते है ...
✅ अरे !! सवाल उठाने वाले धूर्तो… , मूर्खो ये आध्यात्मिक चमत्कार नही है , तो क्या हैं ?
🛕 एक ही कथा , बार -बार , पीढ़ी दर पीढ़ी , वर्षो-वर्ष , शताब्दीयों- सहस्त्र शताब्दीयों.....से सुनते -सुनाते चले आ रहे है ।
ये क्या विश्व में , एक चमत्कार नही ??? खैर हर युग में राक्षस हुए हैं फिर ये तो कलयुग है यहां तो रक्षषों की संख्या कई गुना अधिक है और कालनेमियो की भी कोई कमी नहीं है। (कुछ कालनेमी साधु वेश में बागेश्वर धाम का विरोध और मिशनरियों का समर्थन करते नजर आ रहे हैं..)
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