पुराने 16 जनपद
क्या आप 16 महाजनपदों (वैदिक काल के बाद के भारत के राज्य) के बारे में जानते हैं - जो प्राचीन काल में परिष्कृत कुलीनतंत्रीय गणराज्य थे।एक बार फिर शहरों और शहरी केंद्रों के उदय हड़प्पा (सिंधु) सभ्यता के अंत के 1000 साल बाद के कारण इस युग को भारत के दूसरे शहरीकरण के रूप में भी जाना जाता है।
आइए देखते हैं क्या हैं ये 16 महाजनपद:
(1) काशी महाजनपद – Kashi Mahajanapadas
- इसकी राजधानी वाराणसी (बनारस) थी। वर्तमान वाराणसी (उत्तरप्रदेश) के आस-पास का क्षेत्र काशी महाजनपद था।
- यह नगरी 12 योजनों में विस्तृत थी और किसी समय भारत की सर्वश्रेष्ठ नगरी थी।
- मगध के उत्कर्ष से पूर्व काशी सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद था। काशी के अधीन कोशल एवं अंग महाजनपद थे।
- इसकी राजधानी वाराणसी वरूणा एवं असी नदियों के संगम पर स्थित थी और इसी आधार पर इसका नाम वाराणसी पङा था।
- ’महावग्ग’ से ज्ञात होता है कि काशी के शासक ब्रह्मदत्त ने कोशल पर अधिकार कर लिया था, परन्तु कालान्तर में कोशल ने काशी पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। अन्ततः अजातशत्रु ने काशी का मगध में विलय किया।
- अथर्ववेद में सर्वप्रथम काशी का उल्लेख मिलता है।
- काशी को अविमुक्तक्षेत्र अभिधान कहा जाता है।
- काशी बहुत ही उपजाऊ क्षेत्र था। कहा जाता है कि उत्तरवैदिक काल में काशी नगर की वार्षिक आय कम से कम 1 लाख थी। यह बहुत समृद्ध नगर था।
- यह राज्य अपने ज्ञान, व्यापार तथा शिल्प के लिए प्रसिद्ध था।
- काशी संगीत ज्ञान (शिक्षा) के लिए प्रसिद्ध था।
- बौद्ध भिक्षुओं के वस्त्र काशी में तैयार होते थे। काशी सूती एवं रेशमी वस्त्रों तथा घोङों के व्यापार के लिए प्रसिद्ध था।
- डाॅ. हेमचन्द्र राय चौधरी के अनुसार, ’’सोलह महाजनपदों के प्रारम्भ में काशी सर्वाधिक शक्तिशाली था।’’
(2) कोशल महाजनपद – Kosala Mahajanapada
- अपने समय का यह भी एक विशाल महाजनपद था। इसका दूसरा नाम अवध भी था।
- वर्तमान फैजाबाद (उत्तरप्रदेश) के आस-पास का क्षेत्र कोशल था। उत्तरी कोशल की राजधानी श्रावस्ती एवं दक्षिण कोशल की राजधानी कुशावती थी। रामायणकाल में कोशल की राजधानी अयोध्या (साकेत) थी। बाद में अजातशत्रु ने कोशल को मगध में मिला लिया।
- श्रावस्ती की पहचान आधुनिक महेत से एवं जेतवन विहार के अवशेषों की पहचान सहेत से की जाती है। इन्हीं को सम्मिलित रूप से सहेत-महेत कहा जाता है।
- श्रावस्ती के खण्डहर उत्तरप्रदेश के गोण्डा जिले में सहेत-महेत गाँव में मिले हैं।
- सरयू नदी कोशल राज्य को दो भागों में बाँटती है।
- अयोध्या और साकेत इस राज्य के अन्य महत्त्वपूर्ण नगर थे। यहाँ के राजा महाकोशल ने काशी को जीता और अपनी पुत्री महाकोशला का विवाह मगध के राजा बिम्बसार के साथ कर शक्तिशाली बन गया।
- उसके बाद कंस के पुत्र प्रसेनजित्त इस राज्य का प्रसिद्ध राजा हुआ था।
- प्रसेनजीत पाँच राजाओं के गुट का स्वामी था। वह बुद्ध के समकालीन राजा थे। खेमा ने प्रसेनजीत को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था। बुद्ध एवं प्रसेनजीत की भेंट का वर्णन भरहूत स्तूप पर अंकित है।
- मज्झिम निकाय के वर्णनानुसार प्रसेनजीत ने बुद्ध के बारे में कहा है कि – ’’भगवपि कोशलको, अह्मपि कोशलको, अहमपि असिट्ठिको।’’ अर्थात् बुद्ध भी कोशल के हैं और मैं भी कोशल का हूँ। बुद्ध भी 80 साल के हैं और मैं भी 80 साल का हूँ।
- प्रसेनजीत ने अपनी पुत्री वजीरा का विवाह मगध नरेश अजातशत्रु के साथ किया एवं काशी का प्रदेश दहेज के रूप में दिया।
- कोशल का प्रसेनजीत कपिलवस्तु के शाक्यों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करना चाहता था, परन्तु शाक्य अपनी कन्या का विवाह उसके साथ नहीं करना चाहते थे। अतः उन्होंने राजकुमारी के बदले अपनी दासी, जिसका नाम वासवखतिया या मल्लिका था, का विवाह प्रसेनजीत से करवा दिया।
- मल्लिका से विडूडभ या विरूद्धक पैदा हुआ, जिसने अपने कुल के अपमान का बदला लिया। प्रसेनजीत की रानी मल्लिका भी बुद्ध की शिष्या थी।
- प्रसेनजीत के पुत्र विडूडभ ने मंत्री दीघचारन के साथ षड्यंत्र रचकर प्रसेनजीत को अपदस्थ कर दिया। संयुक्त निकाय के अनुसार विडूडभ ने कपिलवस्तु के शाक्यों पर आक्रमण कर व्यापक नरसंहार किया। वापसी में विडूडभ्ज्ञ अपनी संपूर्ण सेना सहित अचिरावती (राप्ती) नदी की बाढ़ में नष्ट हो गया।
(3) अंग महाजनपद – Anga Mahajanapadas
- यह महाजनपद आधुनिक बिहार राज्य के भागलपुर और मुंगेर जिलों में विस्तृत था। इसकी राजधानी चम्पा (प्राचीन मालिनी) थी, जो गंगा और मालिनी नदियों के संगम पर स्थित थी।
- अंग महाजनपद व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। इसलिए इसे बौद्ध साहित्य में ’वाणिग्यम्’ कहा गया है।
- यहाँ के दो नगर व्यापार के लिए प्रसिद्ध थे – (1) अस्सापीनो, (2) आसन।
- अंग और मगध राज्यों में निरन्तर संघर्ष हुआ करता था। अन्त में मगध के सम्राट बिम्बिसार ने अंग के शासक ब्रह्मदत्त को परास्त कर अंग-राज्य को मगध-राज्य में सम्मिलित कर लिया।
- इसकी राजधानी चम्पा की गणना बुद्धकालीन 6 बङे नगरों में की गई है, जिसकी निर्माण-योजना वास्तुकार महागोविन्द ने बनाई थी।
- चम्पा को पुराणों में मालिनी कहा गया है। चम्पा नदी अंग एवं मगध के बीच सीमा निर्धारण करती थी।
- अंग का प्राचीनतम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है।
- अंग महाजनपद सबसे पूर्वी महाजनपद था।
(4) मगध महाजनपद – Magadha Mahajanapadas
- यह राज्य दक्षिणी बिहार में पटना और गया जिलों में था प्रारम्भ में इसकी राजधानी गिरिव्रज थी।
- बाद में राजगृह और फिर पटना (पाटलीपुत्र) के नाम से विकसित हुई।
- मगध सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद था। इसने बाद में अन्य जनपदों का विलय कर लिया।
- अंग एवं मगध का सर्वप्रथम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है। अथर्ववेद एवं पंचशील ब्राह्मण में यहाँ के निवासियों को व्रात्य कहा गया है।
- बुद्धकाल में यहां का राजा बृहद्रथ था।
- बिम्बसार के पुत्र अजातशत्रु ने वज्जी संघ पर 16 वर्ष तक युद्ध जारी रखा और अंत में उसे जीतकर पास के मल्ल संघ सहित सम्पूर्ण प्रदेशों को अपने साम्राज्य में मिला लिया।
- अपनी साम्राज्य की सीमा हिमालय की तलहटी तक पहुँचा कर मगध सर्वशक्तिशाली महाजनपद के रूप में विकसित हुआ। आगे चलकर यही महाजनपद उत्तरी भारत में मगध साम्राज्य के नाम से स्थापित हुआ।
(5) वत्स महाजनपद – Vatsa Mahajanapada
- यह आधुनिक इलाहाबाद व बाँदा जिले में यमुना नदी के किनारे स्थित था।
- उस समय यह राज्य चार शक्तिशाली राजतंत्रों में से एक था।
- वत्स की राजधानी कौशाम्बी थी। कौशाम्बी को लखपति व्यापारियों का नगर कहा जाता था। यह एक समृद्ध नगरी थी तथा वाणिज्य-व्यापार का केन्द्र थी।
- गौतम बुद्ध का समकालीन वत्स का राजा पौरव वंश का उदयन था। प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु पिण्डोल ने उदयन को बौद्ध मत में दीक्षित किया।
- वह बहुत शक्तिशाली व सौंदर्यपूर्ण था। उसके बारे में अनेक कथाएँ प्रचलित है। संस्कृत साहित्य में उसे तीन नाटकों का नायक बताया गया है। कथासरित्सागर के आधार पर उदयन पांडव परिवार से संबंधित था।
- अवन्ति का राजा प्रद्योत उदयन से बहुत ईर्ष्या करता था। उसने छल द्वारा उसे बंदी बना लिया लेकिन उसकी पुत्री वासवदत्ता उदयन पर मुग्ध हो गई।
- उसने उदयन को मुक्ति दिलाने में सहायता की फलतः दोनों विवाह बंधन में बँध गये।
- उदयन ने कलिंग राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य की वृद्धि की। उसके बाद उसका पुत्र बोद्यिनाम से सम्राट बना लेकिन उसके बारे में इतिहास प्राय मौन हैं।
- भास के अनुसार मगध के राजा दर्शक की बहन पद्मावती का विवाह भी उदयन के साथ हुआ था।
- इसकी राजधानी कौशाम्बी की रक्षा प्राचीर के समीप उङते हुए बाज की आकृति वाली एक यज्ञशाला मिली है, जिसे श्येनचेति कहा गया है।
- विष्णु पुराण के अनुसार गंगा की भयानक बाढ़ में जब हस्तिनापुर नष्ट हो गया तो जनमेजय के प्रपौत्र निचश्रु ने कौशाम्बी को अपनी राजधानी बनाया था। जनमेजय अर्जुन के पौत्र परीक्षित के पुत्र थे।
- तक्षक नामक नाग ने सम्राट परीक्षित को डस लिया। इसका बदला लेने के लिए परीक्षित के वंशज जनमेजय ने नागयज्ञ कर समस्त नागों को समाप्त करने का प्रयास किया।
- वत्स पर अवन्ति ने अधिकार कर लिया।
- कालान्तर में मगध ने वत्स-राज्य को भी अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया।
(6) वज्जि महाजनपद – Vajji Mahajanapadas
- यह राज्य बिहार व नेपाल के मध्य मुजफ्फर व जनकपुर जिलों में स्थित था। इसकी राजधानी वैशाली थी।
- वैशाली एक धन-सम्पन्न तथा वैभवशाली नगर था। लिच्छवीओं की राजधानी वैशाली थी।
- महात्मा बुद्ध के समय यह गणराज्य अत्यन्त शक्तिशाली था। इस संघ में गणतंत्रीय शासन-व्यवस्था प्रचलित थी।
- वज्जि का शाब्दिक अर्थ पशुपालक समुदाय है। यह आठ गणराज्यों का संघ था। इसमें वज्जि के अलावा वैशाली के लिच्छिवि, मिथिला के विदेह एवं कुण्डग्राम के ज्ञातृक प्रसिद्ध थे।
- मगध एवं वज्जि के मध्य गंगा नदी सीमा का निर्धारण करती थी।
- विदेह शक्तिशाली राजतन्त्रीय जनपद था। पतन के कारण जनता ने राजतन्त्र का अंत करके गणतन्त्र की स्थापना कर ली मिथिला उसकी राजधानी थी जो आधुनिक नेपाल की सीमा में स्थित जनकपुरी ही पुरानी मिथिला थी।
- ज्ञात्रिक जनपद की राजधानी कुण्डलपुर अथवा कुण्डलम थी। महावीर स्वामी ज्ञात्रिकवंश में ही उत्पन्न हुए थे।
- वज्जी संघ में लिच्छिवि सबसे शक्तिशाली था लेकिन वज्जि-गण की प्रेरणा से संघ बना अतः इसका नामकरण भी वज्जि संघ रखा गया।
- आधुनिक मुजफ्फनगर जिले में बसाढ़ इसकी राजधानी थी। यह सुन्दर और समृद्ध नगरी थी।
- चूँकि यह अनेक जनपदों का संघ था अतः बहुत शक्तिशाली था लेकिन लिच्छिवी जनपद की मगध के साथ पारस्परिक ईर्ष्या थी।
- मगध के शासक बिम्बिसार ने वैशाली के राजा चेटक की पुत्री चेल्लना से विवाह कर लिया अतः लिच्छिवि क्रुद्ध हो गये। समझाने-बुझाने पर कुछ समय तक तो वे शान्त रहे लेकिन बिम्बसार की मृत्यु के बाद वैमनस्य बढ़ा।
- अंत में मगध सम्राट अजातशत्रु ने छलकपट से लिच्छिवियों को परास्त कर दिया और इस प्रकार वज्जि संघ समाप्त हो गया।
(7) मल्ल महाजनपद – Malla Mahajanapadas
- यह वर्तमान पूर्वी उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले में स्थित था।
- यहाँ दो गणराज्य थे, एक पावा के मल्ल व दूसरे कुशीनारा के मल्ल।
- यहाँ क्षत्रिय इक्ष्वाकु वंश था। यहाँ गणतंत्रीय शासन-व्यवस्था प्रचलित थी।
- पाँचवीं शताब्दी ई. पूर्व में मगध के सम्राट अजातशत्रु ने मल्ल राज्य को जीतकर मगध-साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया।
(8) अवन्ति महाजनपद – Avanti Mahajanapadas
- यह पश्चिमी तथा मध्य मालवा में स्थित था। यह दो भागों में विभक्त था। दक्षिण अवन्ति जिसकी राजधानी ’महिष्मती’ थी तथा उत्तरी अवन्ति जिसकी राजधानी ’उज्जैन’ या ’उज्जयिनी’ थी।
- अवन्ति की दोनों राजधानियों के बीच ’वेत्रवती नदी’ बहती थी।
- अवन्ति सर्वाधिक शक्तिशाली राजतंत्र था। बुद्ध के समकालीन अवन्ति के राजा चण्ड प्रद्योत थे। अवन्ति बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध केन्द्र था।
- वर्द्धमान महावीर तथा गौतम बुद्ध के समय में, महाराज चण्ड-प्रद्योत अवन्ति के राजा थे, जिसका वर्णन पाली धर्मग्रन्थों में भी है।
- प्रद्योत महाकच्चायन के प्रभाव में बौद्ध बन गया। चण्ड प्रद्योत ने बुद्ध को अवन्ति आने के लिए आमंत्रित किया, किन्तु बुद्ध कभी अवन्ति नहीं जा सके।
- वत्स नरेश उदयन को अवन्ति के राजा चण्ड प्रद्योत ने पराजित किया। उदयन ने चण्ड प्रद्योत की पुत्री वासवदत्ता से विवाह किया।
- चण्ड प्रद्योत के बीमार होने पर बिम्बिसार ने अपने राजवैद्य जीवक को उसके उपचार हेतु भेजा। चण्ड प्रद्योत को चण्ड प्रज्जोत या महासेन के नाम से भी जाना जाता है।
- चण्ड प्रद्योत के बाद पालक अवन्ति का शासक बना था।
- अवन्ति का मगध साम्राज्य में विलय शिशुनाग ने किया।
- बौद्ध भिक्षु सोंणदत्त और अभय कुमार अवन्ति के निवासी थे।
(9) चेदि महाजनपद – Chedi Mahajanapadas
- इस राज्य में आधुनिक बुन्देलखण्ड का प्रदेश सम्मिलित था। इसकी राजधानी शक्तिमती अथवा सोत्थवती थी। महाभारत में इस राज्य का उल्लेख मिलता है।
- यह भारत का अति प्राचीन जन था। यमुना नदी के किनारे स्थित था।
- महाभारत कालीन शासक शिशुप्राल चेदि का शासक था। उसके शासन-काल में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई, परन्तु उसकी मृत्यु के बाद इस राज्य की अवनति शुरू हो गई।
- कालान्तर में चेदियों की एक शाखा ने कलिंग में अपनी सत्ता स्थापित की।
- चेतिय जातक में यहाँ के एक राजा का नाम ‘उपचार’ मिलता है।
(10) अश्मक महाजनपद – Asmaka Mahajanapadas
- यह राज्य गोदावरी नदी के तट पर स्थित था। इसकी राजधानी पोतन अथवा पांतलि थी।
- यह महाजनपद दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद जिसका उल्लेख बौद्ध साहित्य में हुआ है।
- बुद्धकाल में अवन्ति ने अश्मक को जीत लिया था।
- कोशल की तरह अस्मक में भी इक्ष्वाकुवंशी शासकों का शासन था। ’कलिंग-जातक’ से ज्ञात होता है कि इस महाजनपद के राजा प्रवर अरुण ने कलिंग-राज्य पर विजय प्राप्त की थी।
- अश्मक और अवन्ति राज्यों के बीच निरन्तर संघर्ष चलता रहता था। अन्त में अश्मक राज्य अवन्ति-राज्य में मिला लिया गया।
(11) कुरू महाजनपद – Kuru Mahajanapadas
- इस राज्य में वर्तमान दिल्ली तथा मेरठ के प्रदेश सम्मिलित थे। इसकी राजधानी इन्द्रप्रस्थ थी।
- हस्तिनापुर इस राज्य का अन्य प्रसिद्ध नगर था।
- कुरु महाभारतकाल का एक प्रसिद्ध राज्य था। महात्मा बुद्ध के समय यह एक गणतंत्र राज्य के रूप में विद्यमान था।
- बुद्ध के समय यहाँ के राजा का यादवों, भोजों और पांचालों से वैवाहिक सम्बन्ध थे।
- बौद्ध साहित्य के जातकों में धनन्जय नामक राजा का उल्लेख आता है जिसे युधिष्ठिर का वंशज कहा गया है। आगे चलकर यहाँ का राजतन्त्र समाप्त हो गया और गणराज्य की स्थापना की गई।
(12) पांचाल महाजनपद – Panchal Mahajanapada
- आधुनिक रूहेलखण्ड के बरेली, बदायूँ एवं फर्रूखाबाद के जिले इसमें शामिल थे। ब्रह्मदत्त पांचाल का एक शक्तिशाली शासक था।
- गंगा नदी इस राज्य को दो भागों में बाँटती है। उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिछत्र (आधुनिक बरेली जिले में स्थित रामनगर) थी। दक्षिण पांचाल की काम्पिल (फर्रुखाबाद जिले में कम्पिल) थी। यहाँ के राजा युम्मुख (दुर्मुख) ने दूर-दूर तक विजय प्राप्त की थी।
- प्रसिद्ध कन्नौज नगर (कान्यकुब्ज) इसी राज्य में था।
- उत्तरप्रदेश के फर्रूखाबाद जिले में स्थित कान्यकुब्ज अथवा कन्नौज का प्राचीन नाम ’महोदय नगर’ भी था। पुराणों के अनुसार इसकी स्थापना पुरुरवा के पुत्र अयावसु ने की।
- कुरू, पांचाल का एक संघ राज्य था।
- महात्मा बुद्ध के समय यहाँ गणतंत्रीय शासन-व्यवस्था प्रचलित थी।
(13) मत्स्य महाजनपद – Matsya Mahajanapadas
- यह वर्तमान राजस्थान में कुरू जनपद के दक्षिण में तथा यमुना के पश्चिम में स्थित था।
- आधुनिक जयपुर, भरतपुर, अलवर आदि के बङे प्रदेश इसमें सम्मिलित थे।
- इसकी राजधानी विराटनगर (जयपुर में बैराठ) थी। यहाँ का राजा विराट था।
- यह महाजनपद बहुत पुराना तथा प्रसिद्ध था।
- पाण्डवों की ओर से यहाँ के राजा ने महाभारत में भाग लिया।
- यूनानी आक्रमण के कारण दक्षिण पंजाब की मालव, शिवि, अर्जुनायन आदि जातियाँ राजस्थान में आकर बस गई और अपने-अपने जनपद स्थापित कर लिये।
- इसमें भरतपुर में राज्यन्य जनपद और मत्स्य जनपद थे। नगरी मेवाङ का शिव जनपद और अलवर क्षेत्र का शाल्व जनपद आदि स्थापित कर मत्स्य महाजनपद को क्षतिग्रस्त कर दिया।
- मत्स्य का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
- महाभारत काल में पाण्डवों ने यहां अपना अज्ञातवास का समय बिताया था।
- कालान्तर में मगध ने मत्स्य राज्य को अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया।
(14) शूरसेन महाजनपद – Shurasena Mahajanapadas
- आधुनिक मथुरा के निकटवर्ती प्रदेश पर फैला हुआ था। वर्तमान वृजमण्डल तक इसका विस्तार था। मथुरा उसकी राजधानी थी।
- यहाँ यदुवंश का शासन था। कृष्ण यहाँ के राजा थे।
- यादव लोग कई कुलों में विभक्त थे। सात्वत, अन्धक और वृष्णि इनके प्रमुख कुल थे।
- बुद्ध के समय यहाँ का राजा अवन्ति का पुत्र था, जो बुद्ध का शिष्य था।
- ग्रीक लेखक सूरसेन महाजनपद की राजधानी मेथोरा बताते हैं।
- बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार शूरसेन का राजा अवन्तिपुत्र एक शक्तिशाली राजा था।
- यहाँ पहले गणतंत्र राज्य था, परन्तु बौद्धकाल में यहाँ राजतंत्रात्मक शासन-पद्धति स्थापित थी।
(15) गांधार महाजनपद – Gandhara Mahajanapadas
- पश्चिमोत्तर भारत में आधुनिक पेशावर तथा रावलपिण्डी के जिले और कश्मीर का कुछ भाग सम्मिलित था। इसकी राजधानी तक्षशिला थी। रामायण के अनुसार इसकी राजधानी तक्षशिला की स्थापना भरत के पुत्र तक्ष ने की। तक्षशिला शिक्षा का एक प्रसिद्ध केन्द्र था जहाँ दूर-दूर के देशों के विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे।
- पुष्कलावती इसका दूसरा प्रमुख नगर था।
- पुष्करसारिन गांधार का शासक था। उसने मगध के सम्राट बिम्बिसार के दरबार में अपना दूत मंडल भेजा था। उसने अवन्ति के राजा प्रद्योत को भी हराया था। पुष्करसारिन पैदल चलकर बुद्ध के दर्शन हेतु आया था।
(16) कम्बोज महाजनपद – Kamboja Mahajanapada
- यह गांधार-राज्य का पङौसी राज्य था। इस राज्य में कश्मीर का भाग, पामीर तथा बदख्शां के प्रदेश सम्मिलित थे। इसकी राजधानी राजपुर या हाटक थी।
- प्रारम्भ में यहाँ राजतन्त्रात्मक शासन-व्यवस्था स्थापित थी, परन्तु बाद में यहाँ गणतंत्रीय शासन पद्धति की स्थापना हुई।
- कौटिल्य ने कम्बोजों की वार्ताशस्त्रोपजीवी संघ अर्थात् वार्ता (कृषि, पशुपालन एवं वाणिज्य) तथा शस्त्रों द्वारा जीविका चलाने वाला कहा है।
- कम्बोज महाजनपद अपने श्रेष्ठ घोङों के लिए विख्यात था।
- साहित्यिक स्रोतों में यहाँ के दो प्रमुख राजाओं चंद्र वर्मन और सुदक्षिण का उल्लेख हुआ है।