दीपावली पर अधर्म पर धर्म की विजय का पर्व है, ये खुशियां बांटने का पर्व है लेकिन जब हम खुद ही अधर्मियों को इस पर्व पर पोषित करें और खुशियां केवल अपने लिए खरीदें तो क्या हम सही मायने में दीपावली मना रहे हैं? दीपावली पर बढ़ चढ़कर खरीदारी की जाती है लेकिन जब खरीदारी विधर्मियों, विदेशियों से की जाय तो क्या धर्म पर विजय होगी और खुशियां बांटेगी? वीडियो देखिए और थोड़ा विचार कीजिए...अपने आप में बदलाव कीजिए
दीपावली मनाइए और खुशियां बांटने के लिए ऑफलाइन आकर छोटे छोटे दुकानदारों से बिना मोल भाल किया सामान खरीदिए, लेकिन एक बात ध्यान जरूर रखें कि ये दुकानदार वो हों जो सनातन धर्म का सम्मान करते हों जो दीपावली का त्योंहार मनाते हैं, अन्यथा यदि आप जेहादियों से खरीदारी करेंगे तो वो पटाखे नहीं बम बनाएंगे और इसके दुष्परिणाम हमें ही भुगतने होंगे