दिल्ली के वसंत विहार में अबुज़ैर सफ़ी ने एक महिला को गोली मार दी।🚨सफ़ी को उसी महिला के साथ बलात्कार के मामले में अदालत से अंतरिम ज़मानत पर रिहा किया गया था।उसे सीने में गोली लगी और वह AIIMS ट्रॉमा सेंटर में ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रही है।आरोपी और उसके साथी को हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है।
अब विचार किया जाना चाहिए कि दोष किसका ? मानवाधिकार के नाम पर समाज के अभिशाप जैसे अपराधियों को बाहें फैलाकर बेल बांटने वाले कोर्ट का कोई दोष नहीं? क्या बेल ऐसे हो किसी को दे देनी चाहिए? आपको पता होगा को दारासिंह को कई वर्षों से बेल नहीं दी जा रही, आशाराम बापू को कई वर्षों तक बेल नहीं दी गई लेकिन आदि जैसे अपराधियों को आसानी से बेल मिल जाती है.. ये कैसा कानून है जो लोगों के समझ में ही ना आए...
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