महाराष्ट्र को राजनीति में बहुत ही छोटा सा रोल निभाने वाले राज ठाकरे जिन्हें लोग बालासाहेब के कारण जानते है वो बोल रहे है कि महाराष्ट्र में सिर्फ मराठी और इंग्लिश ही पढ़ाई जाए "हिंदी अनिवार्य नहीं...साथ हो आंदोलन की भी धमकी दे रहे है। आखिर ये किस प्रकार की मानसिकता है जो महाराष्ट्र को सही मायने में गर्त में ले जाना चाह रही है.. आखिर क्यों इन कुछ नेताओं को हिंदी से इतनी चिढ़ है? क्या हिंदी पूरे देश को जोड़ने में सक्षम है इसलिए...?
भारत विविधताओं का देश है लेकिन कुछ नेता केवल अपनी घटिया राजनीति चमकाने के नाम पर देश को जाती, भाषा, राज्य में बांट देना चाहते है... क्या ये उचित है? क्या हिंदी भाषी कोई विदेशी है? अगर इतने हो शक्ति है माननीय राज साहब में तो पहले महाराष्ट्र से एक एक घुसपैठियों को बाहर फिंकवाएं और मदरसों में चल रही उर्दू को पढ़ाई को बंद करवाएं... नहीं करवा पाएंगे न..? सरा जोर केवल हिंदुओं पर ही चलेगा.... घुसपैठियों और जेहादियों पर चुप्पी..इनके एक मराठी शेर को मुसलमानों ने हाल ही में पीट पीटकर बिल्ली बनाया यह... जब वो मराठी बोलने की जबरदस्ती कर रहा था... उसका क्या किया राज साहब ने..?