मांसाहारी भूखा कैसे मर सकता है, जबकि खाने के लिए लाखों शरीर हैं ?मांस तो मांस होता है। वो फिर पशु का हो या मनुष्य का। इससे क्या फर्क पड़ता है, मांसाहारियों को ? 👇पूरा पढ़ें सब समझ जाएंगे.
वैसे गाज़ा में पशु, पक्षी, जीव, जंतु सब खत्म हो चुके हैं क्योंकि मांसाहारियों ने कुछ छोड़ा ही नहीं। सबको मारकर खा गए। यहां तक की समुद्र तट में अब मछलियां भी नहीं बचीं क्योंकि बड़ी मात्रा में मछलियों को वर्षों से मारा जा रहा है। गाजा के समुद्र तट पॉलीथिन, प्लास्टिक के कचरा से ढके हुए हैं, इसलिए वहां मछलियां अंडे भी नहीं दे पातीं। लीबिया से लेकर गाज़ा तक का समुद्र तट जीव -जंतुओं से विहीन हो चुका है।
अब इन मांसाहारियों को खाने के लिए केवल मनुष्य के अलावा और कुछ नहीं है, लेकिन मांसाहारियों को इसमें संकोच तो नहीं होगा ऐसा मुझे लगता है।
मांसाहारियों का यही तर्क होता है कि भूख मिटाने के लिए कुछ भी खाया जा सकता है तो फिर गाज़ा में भूखे मरने का क्या औचित्य रह गया ??
जब गाज़ा में पर्याप्त मात्रा में मांस है, इसलिए मुझे लगता है कि 20 वर्षों तक भी यदि बाहर से भोजन न दिया जाए तब भी ग़ाज़ा में किसी को भूखे तो नहीं मारना चाहिए।
वैसे कश्मीर में हिंदुओं के बच्चों को पका पकाकर चावलों के साथ जिहादी खा चुके हैं, यह आपने अवश्य पढ़ा होगा। कश्मीर में हिंदुओं के बच्चों को काटकर चावलों के साथ पकाया फिर खुद भी खाया और उन बच्चों के मां-बाप, परिजनों के मुंह में भी ठोस दिया, इतनी बर्बरता की गई कश्मीर में हिंदुओं के साथ।
मानव को खाने का यही काम रखाइन प्रांत में रोहिंग्याओ ने हिंदुओं के साथ किया। रखाइन प्रांत में हिंदुओं के गांवों को ISISI की तरह घेरकर रोहिंग्या मुसलमानों ने नरसंहार किया।
हिंदू महिलाओं लड़कियों से बलात्कार किया जब वे मर गई तो उनके मृत शरीरों से भी कई दिन तक बलात्कार किए गए। हिंदुओं के मृत शरीरों को काटकर कच्चा मांस खाया और फिर कई दिनों तक पकाकर खाया। मानव को खाने का इनका इतिहास है।
यदि कहीं भोजन की कमी के कारण कोई शाकाहारी व्यक्ति भूखे मर जाए तो वह बात समझ भी आती है, क्योंकि शाकाहारी किसी के मांस को नहीं खा सकता।
मैं यही मानता हूं कि जो व्यक्ति जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों पर दया नहीं कर सकता, उनको काटकर खा सकता है। वह मानव शरीर में एक बर्बर, क्रूर दरिंदा होता है। उसके अंदर मानवीय संवेदनाएं खत्म हो चुकी होती हैं। उसके लिए मांस, मांस होता है। वह चाहे फिर किसी पक्षी का हो, पशु का हो या मनुष्य का.....
क्या सोचते हैं, आप।।
जय जय श्री सीताराम!!