खबर यह है कि आरएसएस ने यह मांग की है कि आपातकाल में जबरदस्ती संविधान के साथ छेड़छाड़ करते हुए संविधान की आत्मा को कचौड़ते हुए उसमें सोशलिस्ट तथा सेकुलर शब्द तानाशाही प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा जोड़े गए थे जिन्हें अब हटा देना चाहिए... क्या संघ ने कुछ गलत बोल दिया जो कांग्रेसी समेत सारा विपक्ष यहां तक की बाबासाहेब को मानने वाले भी उस कांग्रेस के साथ खड़े हो गए हैं जिसने आपातकाल में संविधान के प्रियंबल में बदलाव कर उसकी आत्मा को जख्मी किया। आखिर बाबासाहेब के समर्थकों को इससे दिक्कत क्यों जबकि बाबासाहेब के ही ओरिजिनल संविधान को वापस लाने की बात हो रही है।
मुख्य बात यह है कि विरोधियों ने तो अपना काम शुरू कर दिया वह हर प्रकार से विरोध कर रहे लेकिन जिन लोगों को लगता है कि संविधान के साथ जो छेड़छाड़ आपातकाल में हुई उसे वापस ठीक करना चाहिए और संविधान से सेकुलर और सोशलिज्म जैसे शब्द जो देश के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है उन्हें हटा देना चाहिए वह क्यों संघ की इस बात के समर्थन में खड़े होते नजर नहीं आ रहे? यदि आप संघ के इस प्रस्ताव से सहमत हैं तो आपको हर प्रकार से इसका समर्थन अभी से शुरू करना होगा। कम से कम सोशल मीडिया पर तो समर्थन शुरू करो राष्ट्रप्रेमियों