इनका दुस्साहस तो देखिए,सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका डाली गई है कि,'रोहिंग्याओं को पूरा सम्मान दो, 50 लाख मुआवजा और रहने की परमिट भी...',याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि पुलिस ने 43 रोहिंग्या शरणार्थियों को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद भारत सरकार ने उन्हें जबरन पोर्ट ब्लेयर के रास्ते म्यांमार भेज दिया.याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि रोहिंग्याओं को वापस बुलाकर सम्मान, 50 लाख रुपये मुआवजा और भारत में रहने का परमिट दिया जाय।रोहिंग्या निर्वासन पर अदालती बहस में, कानूनी बिरादरी के कुछ सबसे बड़े नाम 40,000 आप्रवासियों की ओर से लड़ने के लिए तैयार हैं।
पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी रोहिंग्याओं को म्यांमार वापस भेजने के केंद्र के रुख के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की । केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया जिसमें उसने कहा कि रोहिंग्या मुसलमान अवैध अप्रवासी हैं और उनके यहां रहने से "राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा" है।
-- मिलिए इन अधिवक्ताओं से जो रोहिंग्याओं के पक्ष में खड़े हैं:👇
वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन:
म्यांमार/बर्मा में जन्मे नरीमन पद्म पुरस्कार विजेता हैं और मई 1972 से जून 1975 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रहे।
आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण,
कपिल सिब्बल: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और एक जाने-माने अधिवक्ता,
राजीव धवन: वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं।
अश्विनी कुमार कांग्रेस सरकार में कानून मंत्री रहे हैं,
कोलिन गोंसाल्वेस: कोलिन गोंसाल्वेस सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं,
जो अधिवक्ता देश के शत्रुओं के साथ खड़े हैं उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही होनी चाहिए और इनकी वकालत की डिग्री रद्द होनी चाहिए। कोर्ट की अधिक उदारता देश को ले डूबेगी।
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