पांच दिसम्बर को मुंबई के आजाद मैदान में शपथ की तैयारियां शुरू हो गई हैं । करीब तीन चौथाई वोट लेने वाली महायुति ने अघाड़ी का मानमर्दन करते हुए सूपड़ा साफ जीत दर्ज की थी । लेकिन परिणाम आने के बाद एक सप्ताह बीत गया , सरकार के भविष्य पर पड़ा पर्दा अब तक हटा नहीं है ।
जनता की भावनाओं का आदर करते हुए तीनों नेताओं से परस्पर सौहार्द की उम्मीद करनी चाहिए । चुनाव तो झारखंड के भी साथ साथ हुए थे । कब से हो चुका शपथ ग्रहण , सरकार काम कर रही है । शपथ ग्रहण का कार्यक्रम और समय तो मुंबई में भी सार्वजनिक हो चुका है । पर कौन बनेगा मुख्यमंत्री अभी तक घोषणा नहीं हुई । उम्मीद की जानी चाहिए कि नए सीएम का नाम जल्द सामने आ जाएगा । बहरहाल जो हालात बने हैं , उन्हें संभालना बहुत जरूरी है।
शिंदे मुंह से भले ही बहुत कुछ कह रहे हों , ढाई साल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का स्वाद उनसे छूट नहीं पा रहा । यह जानते हुए भी कि बीजेपी उन्हें सीएम बनाकर फडणवीस का कद छोटा नहीं करती तो वे सात जनम तक भी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते थे । अब भारी बहुमत के साथ फडणवीस को सीएम बनाया जाना है तो शिंदे बीमार हो गए और मुंबई छोड़कर अपने गांव जा बैठे । जो सरकार 25 नवंबर को बन जानी चाहिए थी , वह आज तक नहीं बन पाई । यहां तक कि महायुति के तीन नेताओं के साथ शाह मोदी की बैठक भी बेनतीजा रही ।
महायुति में जो हो रहा है , यदि अघाड़ी सत्ता में आई होती तो तब भी यही होता । गठबंधनों की सरकारें बनाना आसान नहीं है , चलाना तो और भी मुश्किल है । पर हां , राजनैतिक विभाजन के दौर में दलों को अब मिली जुली सरकारें बनाने और चलाने की आदत पड़ती जा रही है ।
इसमें कोई शक नहीं कि अब मुख्यमंत्री तो फडणवीस ही बनेंगे , शिंदे और अजित डिप्टी सीएम का पद संभालेंगे । बड़े मंत्रालयों को लेकर जरूर खींचतान है और देर सबेर सरकार बन ही जाएगी । तीनों नेता लम्बे समय से साथ चल रहे हैं और एक दूसरे की खूबियां तथा कमजोरियां भली भांति जानते हैं । महाराष्ट्र की जनता ने बड़ी उम्मीदों से महायुति को जिताया है ।