भारत देश की महानता सनातन संस्कृति में छुपी है लेकिन जैसे ही सनातन धर्म के कोई त्योहार आते हैं तो प्रदूषण बचाने का ज्ञान बांटा जाने लगता है। अब क्रिसमस आ रही है जो भारत देश का त्योहार नहीं है तो फिर हम 25 दिसंबर से 1 जनवरी तक इतना अवश्य करें :-
1. पटाखे न फोड़ें और प्रदूषण कम करने में देश की मदद करें।
2. शराब नहीं पियें जिससे एक्सीडेंट कम होंगे, घर में शांति बनी रहेगी, मांस नहीं खायें जिससे निर्दोष पशुओं की हत्या नहीं होगी और उनको भी अपना जीवन जीने को मिलेगा।
3. डांस के क्लबों में नहीं जाकर मन्दिरों में जाकर कीर्तन करें जिससे जीवनशक्ति का विकास होगा।
4. प्रार्थना करने में मोमबत्तियाँ व्यर्थ में न जलाएं, उन गाँव कस्बों में इसे बांटें जिससे किसी के घर का अंधेरा दूर हो।
5. सांता के कपड़े बनाकर दुकान में, गिरिजाघर में, मॉल में न टांगें! इससे बेहतर गरीबों के लिए कपड़े बनाएं और उन्हें बाँटें।
6. साँता के कपड़े न खुद पहनें और ना ही पत्नी व बच्चों को पहनाकर जोकर बनायें, बल्कि ठंड में ठिठुरते गरीबों को शाॅल/कम्बल ओढ़ा दें।
7. प्लास्टिक के क्रिसमस-ट्री बनाने में सामग्री व रुपए व्यर्थ न गंवाएं, प्रदूषण न बढ़ायें! बल्कि तुलसी पौधे को सजाकर पूजन करके स्वस्थ रहें और प्रदूषणमुक्त वातावरण बनाएँ।
8. आधी रात तक जाग कर सांता का इंतज़ार न करें और न ही बच्चों को उसके आने का झूठा आश्वासन दें, बल्कि भगवान के नाम का कीर्तन करते-करते सो जाएं।
9. आधी रात तक जाग कर अंडे वाले केक खाने से बेहतर है कि दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर बच्चों के साथ पूजा-पाठ करके भगवान को भोग लगाकर दिव्य प्रसाद खाएं।
10. 25 दिसम्बर को हैप्पी क्रिसमस नहीं बोलकर "तुलसी पूजन दिवस" की सभी को हार्दिक बधाई दें।
मुट्ठीभर अंग्रेज भारत में आकर 200 साल तक राज कर गए और धर्मान्तरण करके अपना ईसाई सम्प्रदाय छोड़कर गए। लेकिन कुछ लोग आज भी अंग्रेजों के मानसिक गुलाम हैं जो क्रिसमस मना लेते हैं, हैप्पी क्रिसमस बोलते हैं; जबकि वे लोग कभी शुभ दीपावली, शुभ जन्माष्टमी नहीं बोलते हैं फिर हिन्दू क्यों मूर्खता कर रहे हैं…?
अतः प्रत्येक सनातनी आज एवं अभी से संकल्प लें कि 25 दिसंबर को क्रिसमस नहीं, बल्कि तुलसी पूजन दिवस मनायेंगे, तुलसी पूजन खुद करेंगे और आस-पड़ोस को भी यह त्योहार मनाने को प्रोसाहित करेंगे और तुलसी पूजन की बधाई व शुभकामनाएं देंगे।
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