बहुत ही गंभीर चिंता करने वाला विषय। राजनैतिक एकजुटता के लिए सबकी सोच अलग अलग है पर ईमानदारी से एक बात कही जा सकती है मुस्लिम समाज की तारीफ़ करनी चाहिए कि वो अपने को मिलने वाली सुविधाओं को ध्यान न देकर उनकी नज़र में जो कौम का भविष्य हैं उसको ध्यान में रखकर वोट करते हैं जबकि हिन्दू समाज में एक बड़े वर्ग को समझाया गया कि वर्तमान समय में मिलने वाली कुछ सुविधाओं को ध्यान में रखकर वोट करो "खटाखट" भविष्य के ख़तरे की संभावना "कटाकट" को ताक पर रख दो।
लोकतंत्र में सिर्फ़ संख्या बल नहीं एकता बल जीतता है ।इसलिए प्रधानमंत्री मोदी जी और मोहन भागवत जी का इशारा उसी तरफ़ है जिसमें देश का दीर्घकालिक सुख और शांति भी निहित है । हिंदू समाज को एकजुट होना ही होगा....