सीएम नायडू ने कल ही इस मामले में बता दिया था कि सरकार के संज्ञान में मामला आने के बाद मंदिर में शुद्ध घी की व्यवस्था की गई है। वहीं डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने इस मामले में ट्वीट पर लिखा- “पिछली सरकार के कार्यकाल दौरान, तिरुपति बालाजी प्रसाद में पशु मेद (मछली का तेल, सूअर की चर्बी और बीफ़ वसा) मिलाए जाने की बात के संज्ञान में आने से हम सभी अत्यंत विक्षुब्ध हैं। तत्कालीन वाईसीपी (YCP) सरकार द्वारा गठित टीटीडी (TTD) बोर्ड को कई सवालों के जवाब देने होंगे! इस सन्दर्भ में हमारी सरकार हर संभव सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह समूचा प्रकरण मंदिरों के अपमान, भूमि संबंधी मुद्दों और अन्य धार्मिक प्रथाओं से जुड़े कई मुद्दों पर चिंतनीय प्रकाश डालता है। अब समय आ गया है कि पूरे भारत में मंदिरों से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अविलंब ‘सनातन धर्म रक्षा बोर्ड’ का गठन किया जाए।”
उन्होंने कहा, “सभी नीति निर्माताओं, धार्मिक प्रमुखों, न्यायपालिका, आम नागरिकों, मीडिया और अपने-अपने क्षेत्रों के अन्य सभी दिग्गजों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एक सार्थक बहस होनी चाहिए। मेरा मानना है कि हम सभी को किसी भी रूप में ‘सनातन धर्म’ के अपमान को रोकने के लिए अविलंब एक साथ आना चाहिए।”
बता दें कि तिरुपति के प्रसाद में हुई गड़बड़ी को लेकर तिरुमाला मंदिर के पूर्व पुजारी रमना दीक्षितुलु ने भी राय रखी है। उन्होंने कहा, “प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले गाय के घी में बहुत सारी अशुद्धियाँ थीं और यह घटिया क्वालिटी का था। मैंने कई साल पहले इस पर ध्यान दिया था। मैंने इसे संबंधित अधिकारियों और ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष के सामने रखा था। लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की।”
पूर्व पुजारी बोले- “पहले ये मेरे लिए अकेले की लड़ाई थी, लेकिन अब, नई सरकार ने सत्ता संभाली है और उसने सारी अशुद्धियाँ साफ करने का वादा किया है। उन्होंने पहले ही सरकारी डेयरियों से शुद्ध गाय का घी खरीद लिया है और वे अब शुद्ध घी से खाद्य सामग्री तैयार कर रहे हैं। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस तरह के महान पाप मंदिर में न दोहराए जाएँ, जो एक पवित्र मंदिर है जिसमें करोड़ों भक्तों की गहरी आस्था और भक्ति है।”