आपके सबसे प्रसिद्ध मंदिर जहाँ के विग्रह में साक्षात श्री हरि विष्णु का वास माना जाता है... में, वर्षों से जानवरों की चर्बी से बने भोग लगाने की बात आती है जो कि अक्षम्य है.
लेकिन, ये खुलासा होने के बाद... दुख, क्षोभ या विरोध तो जाने दो...
उल्टे हिन्दू ही... बताने लगे कि , अरे तुम जो घर के मंदिर में घी का दीपक जलाते हो वो भी तो चर्बी ही है. इसीलिए, अगर मन्दिर में चर्बी का भोग लग ही गया तो क्या हो गया ?
कुछेक लोग तो ज्ञान बघारते हुए ये तक कहने लगे कि... हिंदुओ को तो बड़े मंदिर जाना ही नहीं चाहिए..जबकि, कुछेक राजनीतिज्ञ लोग बताने लगे कि चूंकि ये सब 2014 की बात है इसीलिए इन सबके लिए मोदी दोषी है इसीलिए उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देनी चाहिए.
इन्हीं सब बातों से समझा जा सकता है कि... देश के हिंदुओं की परिपक्वता कितनी है ?
जिस समय उसे धर्म विरोधियों और अपनी आस्था का ऐसा अपमान करने वालों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूरे भारत की गली-गली में धरना-प्रदर्शन करना चाहिए..उस समय वो अपने ही हिन्दू-बहनों भाईयो की आस्था का मजाक बनाकर उसे कटघरे में खड़ा कर रहा है.और, इसका कारण समझना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है.
असल में किसी भी प्रकार के धरने-प्रदर्शन अथवा विरोध-प्रदर्शन हेतु... आदमी, पैसा और कोर्डिनेशन लगता है जो किसी संगठन के बूते की ही चीज होती है... किसी इक्के-दुक्के लोगों का नहीं.
तथा, ये बताने की आवश्यकता नहीं है कि ऐसे तूतीये आजीवन संगठन का विरोध कर हिंदुओ को उससे दूर जाने को कहते रहते हैं.
तो, अब ये किस मुँह से कह पाएंगे कि आपलोग इस संगठन के बैनर तले पूरे देश में धरना-प्रदर्शन करो.
इसका दूसरा सबसे बड़ा कारण ये है कि.... खांग्रेस, वामपंथी और सोरोस गैंग का मुख्य टारगेट है ... हिंदुओ को उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय में बाँट कर उन्हें कमजोर करो. ऐसे में... तिरुपति मामले में उत्तर भारतीय हिंदुओ का आक्रमक विरोध उत्तर एवं दक्षिण भारतीय हिंदुओ में एकता का भाव पैदा कर सकता है कि... हम चाहे कहीं के भी हों.. लेकिन, हम धार्मिक मामले में एक साथ हैं.
पूरे देश के हिंदुओं का ये भाव खांग्रेस, वामपंथी और सोरोस गैंग के वर्षों के विभेद नीति पर किये गए काम पर पानी फेर सकता है. इसीलिए, अब जॉर्ज सोरोस के पालतू कुत्ते किसी भी तरह इस मुद्दे को डाइवर्ट करते हेतु आपको चर्बी वाली घी और मोदी वाली सुनाने में लगे हैं.
और, इन कुत्तों से ज्यादा तूतीये तो वे कुत्ते हैं जो इस मैटर के दूरगामी परिणाम को समझे बिना उसे आगे बढ़ाए जा रहे हैं.इसीलिए, ऐसे कमअक्ल कुत्तों से सचेत रहते हुए अपने धार्मिक आस्था के अपमान पर हमारी जोरदार आवाज ही सरकार को कठोरतम कारवाई के लिए बाध्य कर सकती है.
अन्यथा... ये हर किसी को मालूम है कि बिना बच्चे के रोये तो उसकी सगी माँ भी उसे दूध नहीं पिलाती है.
क्योंकि, ऐसे में उसे पता ही नहीं चल पाता है कि बच्चे को भूख भी लगी है.
ॐ श्री हरि...!!