मेजर सीता शेल्के 🔥 भारतीय सेना की मद्रास रेजिमेंट के मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप (एमईजी) के सैनिकों ने भूस्खलन प्रभावित वायनाड में बचाव कार्य के लिए 16 घंटे में पुल का निर्माण किया।
बहादुर मेजर सीता शेलके के नेतृत्व में इंजीनियर सैनिकों ने इस पुल का निर्माण शीघ्रता से पूरा किया।
अभिनेत्रियों और इंस्टाग्राम सेलिब्रिटीज़ को कॉलेजों में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित न करें।ऐसे खतरे के समय में देश की सेवा करने वाले बहादुर अधिकारियों को आमंत्रित करके छात्रों को प्रोत्साहित किया जाय। 🇮🇳
_हल्के-फुल्के अंदाज में.._
जीवन बदल गया है। तब राम पुल बना रहे थे और अब सीता की बारी है!
खबर विस्तार से
वायनाड में आई भीषण आपदा के बाद बचाव अभियान अभी जारी है। सेना के जवान दिनों-रात बचाव कार्यों में लगे हुए हैं और सभी जगह उनके काम की वाहवाही हो रही है। राहत और बचाव कार्य के बीच एक भारतीय सेना की महिला अधिकारी का नाम सुर्खियों में आया है और वो नाम है मेजर सीता शेल्के का।
जी हां...मेजर सीता शेल्के के निस्वार्थ सेवा और समर्पण के लिए प्रशंस और सराहा की जा रही है। दरअसल, मेजर सीता शेल्के ने बेली ब्रिज के निर्माण कार्य की देखरेख की। उनकी प्रयासों से चूरलमामला में उफनती नदी पर 190 फीट लंबा बेली ब्रिज मात्र 16 घंटे में पूरा हो गया।
ऐसा बताया जा रहा है कि मेजर सीता शेल्के और उनकी टीम ने बेली ब्रिज को बनाने के लिए 16 घंटे बिना रुके काम किया। ताकि, बचाव टीम मुंडकाई गांव तक पहुंच सकें
पुल के ऊपर खड़े मेजर सीता शेल्के की तस्वीरें शुक्रवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं थी। उनकी तस्वीर शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'मेजर सीता शेल्के और इंजीनियर रेजिमेंट आप पर गर्व है। वायनाड में बेली ब्रिज का 16 घंटे से भी कम समय में सफलतापूर्वक निर्माण करना अविश्वसनीय है!' वहीं, स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में इस बचाव अभियान को गति देने के लिए उनकी सराहना की गई।
भारतीय सेना के मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप (एमईजी) 'मद्रास सैपर्स' के नाम से मशहूर है। यह इंजीनियरिंग यूनिट को सेना के लिए रास्ता साफ करने, पुल बनाने और युद्ध के दौरान बारूदी सुरंगों को खोजने और उन्हें निष्क्रिय करने का काम सौंपा गया है। इतना ही नहीं, यह टीम प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव कार्यों में भी सहायता करती है और 2018 की बाढ़ के दौरान केरल में विशेष रूप से सक्रिय रही थी।
बेली पुल का निर्माण 31 जुलाई को रात 9:30 बजे शुरू हुआ और 1 अगस्त को शाम 5:30 बजे तक पूरा हो गया। पुल की मजबूती का परीक्षण करने के लिए सेना पहले अपने वाहनों को नदी के दूसरी ओर ले गई थी। ये बेली ब्रिज वायनाड जिले के मुंडक्कई और चूरलमाला के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों को जोड़ने में मदद करेगा। ये 24 बेली ब्रिज इरुवाझिंजिपुझा नदी पर बनाई गई है।