"श्रीमद् रामायण" में "सुंदर कांड" भगवान श्री हनुमान जी को समर्पित है।
क्या आप जानते हैं हनुमान जी का एक नाम सुंदर भी है। अतः इस कांड को सुंदर कांड कहा जाता है।
🪷सकल सुमंगलदायक,
रघुनायक गुन गान।
सादर सुनहिं ते तरहिं, भवसिंधु बिना जलजान।।🪷
अर्थात् श्री रघुनाथ जी का गुणगान संपूर्ण सुंदर मंगलों का यानी सभी लौकिक एवं परलौकिक मंगलों को देने वाला है, जो इसे आदरसहित सुनेंगे, वे बिना किसी अन्य साधन के ही भवसागर को तर जाएंगे।
⚜️सुंदरकांड में तीन श्लोक, साठ दोहे तथा पांच सौ छब्बीस चौपाइयां हैं।
⚜️साठ दोहों में से प्रथम तीस दोहों में विष्णुस्वरूप श्री राम के गुणों का वर्णन है।
⚜️सुंदर शब्द इस कांड में चौबीस चौपाइयों में आया है।
⚜️सुंदरकांड के नायक रूद्रावतार श्री हनुमान हैं।
⚜️अशांत मन वालों को शांति मिलने की अनेक कथाएं इसमें वर्णित हैं। इसमें रामदूत श्रीहनुमान के बल, बुद्धि और विवेक का बड़ा ही सुंदर वर्णन है।
⚜️एक ओर श्रीराम की कृपा पाकर हनुमान जी अथाह सागर को एक ही छलांग में पार करके लंका में प्रवेश भी पा लेते हैं।
⚜️दूसरी ओर बालब्रह्माचारी हनुमान ने विरह - विदग्ध मां सीता को श्रीराम के विरह का वर्णन इतने भावपूर्ण शब्दों में सुनाया है कि स्वयं सीता अपने विरह को भूलकर राम की विरह वेदना में डूब जाती है।
⚜️इसी कांड में विभीषण को भेदनीति, रावण को भेद और दंडनीति तथा भगवत्कृपा प्राप्ति का मंत्र भी हनुमान जी ने दिया है।
⚜️अंतत: पवनसुत ने सीता जी का आशीर्वाद तो प्राप्त किया ही है,राम काज को पूरा करके प्रभु श्रीराम को भी विरह से मुक्त किया है और उन्हें युद्ध केलिए प्रेरित भी किया है।
⚜️इस प्रकार सुंदरकांड नाम के साथ साथ इसकी कथा भी अति सुंदर है।
⚜️अध्यात्मिक अर्थों में इस कांड की कथा के बड़े गंभीर और साधनामार्ग के उत्कृष्ट निर्देशन हैं।
⚜️अत: सुंदरकांड आधिभौतिक, आध्यात्मिक एवं आधिदैविक सभी दृष्टियों से बड़ा ही मनोहारी कांड है।
सुंदरकांड के पाठ को अमोघ अनुष्ठान माना जाता है।ऐसा विश्वास किया जाता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से दरिद्रता एवं दुःखों का दहन,अमंगलों संकटों का निवारण तथा गृहस्थ जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।पूर्णलाभ प्राप्त करने के लिए भगवान में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास होना जरूरी है।
श्रीहनुमान चालीसा का यथासंख्या तथा श्रीसुंदरकांड पाठ अवश्य करना चाहिए।
सुंदर कांड के लिए कहा गया है;
🪷सुंदरे सुंदरे राम: सुंदरे सुंदरीकथा।
सुंदरे सुंदरी सीता सुंदरे किम् न सुंदरम्।।🪷
सुंदर कांड में मुख्य मूर्ति श्री हनुमानजी की ही रखी जानी चाहिए।इतना अवश्य ध्यान में रखना चाहिए कि हनुमान जी सेवक रूप से भक्ति के प्रतीक हैं,अत: उनकी अर्चना करने से पहले भगवान राम का स्मरण और पूजन करने से शीघ्र फल मिलता है।
रामदूत श्री रुद्रावतार भगवान श्री हनुमान की जय 🙏🔱🚩🌺