"कांग्रेस सरकार गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले हर घर की एक महिला के बैंक खाते में ₹1 लाख (₹8500 प्रति माह) ट्रांसफर करेगी। एक झटके से हम हिंदुस्तान से गरीबी मिटा देंगे":-राहुल खान-गांधी।
उनका मजाक मत उड़ाइए। कांग्रेस ने पहले भी ग्रामीण इलाकों में ₹27 और शहरी इलाकों में ₹33 से ज़्यादा कमाने वाले लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर घोषित करके गरीबी मिटाई थी। गरीबी मिटाना बहुत आसान है। कांग्रेस एक बार फिर ऐसा आसानी से कर सकती है।
1966 के बाद से गरीबी हटाओ का नारा लग रहा है। अब फिर से गरीबी हटाओ नारा आया है। इसने दो बाते हो सकती हैखूब करेंसी छापो तो और जरा सोचिए क्या महीना का काम के बारे क्या उपाय करेंगे उसका उपाय खटाखट कब कैसे बताएंगे । जो प्रोजेक्ट सुरु हुए थे अगर उन सभी को टाइम से पूरा से पूरा किए होते तो रोजगार मिल गया होता इसे फ्री पॉलिटिक्स नही करनी पड़ती ।
और यह राहुल गांधी जी राजस्थान के अनूपगढ़ में बोल रहे थे और यहां पर 2018 में राहुल गांधी ने कहा था कि अगर उनकी सरकार आ गई तो किसानों का कर्ज माफ कर देंगे और किसानों ने उनको वोट दे दिया था लेकिन किसी भी किसान का कोई कर्ज माफ नहीं हुआ
कर्ज माफी से संबंधित तथ्य यह है कि सहकारी बैंकों का लोन जो ग्राम सेवा सहकारी समिति के जरिए बटता है 50000 तक पहले वसुंधरा सरकार ने माफ कर दिया था और यदि उनसे कोई ऊपर था तो गहलोत ने किया था लेकिन केसीसी और दूसरा कर्ज था वह कोई माफ नहीं किया जबकि वादा संपूर्ण कर्ज माफी का किया था इसलिए इनके किसी भी झांसे में मत आना इनके पास खोने को कुछ है नहीं यदि इनके झांसे में आकर वोट दे बैठे तो देशवासियों हालात फिर वही होगी जो 2014 से पहले थी घर से निकलने वाले को पता नहीं होता था कि शाम को वापस घर पहुंचेगा या नहीं क्योंकि देश में हर जगह बम धमाके होते थे
कांग्रेस भारत के इतिहास में पहली बार 10 वर्ष से सत्ता से दूर रही है इसलिए यह बहुत खार खाये बैठे हैं उनके मन में बहुत जहर भरा हुआ है कि यदि एक बार सत्ता मिल गई तो फिर देखो क्या करते हैं देशवासियों के साथ इसलिए वोट सोच समझ कर देना अपने प्रत्याशी को मत देखना की कौन सा प्रत्याशी किस जात का है क्योंकि यह सरपंच और विधायक नहीं बना है देश के लिए कानून बनाने हैं वहां पर आपका प्रत्याशी की जाती नहीं देखी जाएगी पार्टीयों के मेनिफेस्टो से काम होगा
आपको चुनाव मोदी और राहुल गांधी में से करना है
राहुल गांधी के भाषण के दौरान जो भी ताली बजा रहे हैं इन्होंने 2018 में भी तालियां बजाई थी जब कर्ज माफी का वादा किया था लेकिन हुआ नहीं