अम्बानी का 1000 करोड़ खर्चना मायने नही रखता क्योंकि वो अम्बानी द्वारा खर्चा नही जा रहा बल्कि निवेश किया जा रहा है।
_वो निवेश है भारतीय कल्चर पर जिसे जब अम्बानी जैसे लोग रिप्रजेंट करते हैं तो दुनिया देखती है। और जब दुनिया मे ये बातें पहुंचती हैं तो हमारे कल्चर को जानने की उत्सुकता दुनिया मे जगती है और इसे जानने जब दुनिया से लोग आया करते हैं तो यही निवेश हजारों करोड़ में वापिस भारत को लौट आया करता है।_
_इस समय दुनिया मे इस शादी के चर्चे हो रहे हैं। कोई रिहाना के नाम पर चर्चा कर रहा है कि रिहाना भारतीय अरबपति की शादी में गयी तो कोई बिल गेट्स, जुकरबर्ग के माध्यम से चर्चा कर रहा है कि माइक्रोसॉफ्ट-फेसबुक के मालिक भारतीय अरबपति के यहां गए हुए हैं।_
_भारत की मीडिया भी जब दिन रात इस शादी को दिखा रही है तो वो ये सन्देश भी पहुंचा रही है कि कैसे इतना बड़ा आदमी होकर भी अपने कल्चर को एक परिवार ने संजोकर रखा है जिससे उन चिरकुट अमीरों को सन्देश जाता है जो साउथ दिल्ली, साउथ बॉम्बे में रहकर दिन रात पश्चिम की नकल कर भारतीयता से दूर हो गए हैं। भाँडो को वहां नचाकर भी सन्देश ही जा रहा है कि जिनको तुम किंग, क्वीन समझते हो और उनके नक्शे कदम पर जीवन यापन करते हो.. वो भी अम्बानी जैसो के आगे किस तरह नतमस्तक हैं इसलिए औकात से ऊपर उछलना ठीक नही होता।_
अभी तो पश्चिम में सिर्फ यही उत्सुकता होती है कि इंडियन वेंडिंग में एकबार जाना है वो कितनी अच्छी होती हैं, लेकिन अम्बानी जैसे जब इस तरह एक भव्य रिप्रजेंटेशन करते हैं तो यही पश्चिम एक दिन ये जानेगा कि वो इंडियन वेडिंग नही, हिन्दू विवाह कहलाता है।।।।