रणदीप हुड्डा बॉलीवुड का जाना माना चेहरा जो अभी काफी चर्चा में है जिसका कारण है उनका अपनी संस्कृति का सम्मान करना, आधुनिकता दिखाने के चक्कर में फूहड़ता न करते हुए अपनी संस्कृति के अनुरूप विवाह करना। बॉलीवुड में कुछ ऐसे लोग भी हैं👇
आधुनिक बनने के लिए अपनी संस्कृति को भुलाना जरूरी नहीं और ना ही किसी अन्य संस्कृति को चाहे वो ठीक ही ना हो उसे अपनाना। बॉलीवुड के चक्कर में आकर भारत के अनेकों लोग अपनी संस्कृति की अवहेलना करने लगे और दिखावे के चक्कर में फूहड़ता करने लगे उन आधुनिक मूर्खों के लिए रणदीप हुड्डा का ये कदम एक सीख है।
भगवान श्री कृष्ण ने गीता के माध्यम से भी समझाया है
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् ।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ॥
भली प्रकार अनुष्ठान किये गये दूसरे के धर्म से, सदोष होने पर भी अपना धर्म श्रेष्ठ होता है; अपने धर्म में मरना श्रेष्ठ होता है, दूसरे के धर्म का अनुकरण करना विनाशकारी होता है।
इससे आप ये समझ सकते हैं की स्वाभाविक कर्म अपनी परमार, अपनी संस्कृति भले ही हमें दोषमुक्त प्रतीत होती हैं लेकिन फिर भी वो दूसरों के कर्म, संस्कृति, परंपराओं से श्रेष्ठ हैं जिनका पालन करते हुए मरना भी श्रेष्ठ हैं और दूसरों के पीछे भागना आडंबर, दिखावा करना विनाश कारी ....एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी की दूसरे की थाली में घी अच्छा लगता है वैसे ही मूर्खों को अपनी संस्कृति, परंपराओं से अच्छी दूसरों की परंपराएं लगती हैं क्योंकि उन्हें अपने धर्म, परंपराओं का उचित ज्ञान नहीं होता