इसी जाति व्यवस्था से हमारे पुश्तैनी हुनर फिर वो पंडिताई थी या बढ़ई का काम सब इतना तुर्क, मुगल, अंग्रेज शोषण होने के बाद जीवित बचा और धर्म भी जिंदा रहा।
लेकिन जब हमने जातिवाद को सर पर बिठाया तो जिन्हें शूद्र वर्ग के काम कहें जाते हैं, वो सब दुसरे तेजी से छीनते गए और इसपर बात न करकर सँवर्णो पर इसका भी दोष मढ़ दिया गया।
ऐसा ही चलता रहा तो बचे काम भी छीन लिए जाएंगे और हम जातिवाद का झुनझुना ही बजाते रह जाएंगे।
और ये जबरदस्ती का दूसरे के काम में घुसना भी मूर्खता है क्योंकि कुछ काम परम्परागत रूप से खून में ही शामिल हो जाते हैं, अपवाद हटा दो तो।
उदाहरण के लिए गुजराती, मारवाड़ी, सिंधी के खून में ही व्यापार है।
जातिवादी कीड़े ने न सिर्फ हमारे हुनर छीन लिए लेकिन हमें आपस मे बांट दिया है।
जो ये जातिवादी जनगणना कर रहे हैं इनमे से किसी को हमारा उद्धार नही करना है बल्कि हमें आपस मे लड़ाना है ताकि जैसे दुसरो ने हमारे काम छीन गया ऐसे ही हम हिन्दुओ से हमारी सत्ता भी छीन ले।
बिहार ने इसकी शुरुआत कर दी है क्योंकि वर्तमान में सबसे ज्यादा जातिवादी कीड़ा बिहार को लगा है।
अब कांग्रेस भी आएगी कि इस कीड़े को देश मे और जोरों से फैलाएंगे।
अगर अपने परिवार को बचाना चाहते हो तो इन जातिवादी की गिनती करने वालों से दूर रहना