हमें मां से 50% आणविक डीएनए और पिता से 50% मिलता है ।
लेकिन हमें माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए 100% मां से ही मिलता है । माइटोकॉन्ड्रिया और उनके डीएनए केवल मां से बच्चे तक आते हैं ।
माइटोकॉन्ड्रिया एटीपी का उत्पादन करते हैं । एटीपी हमारे शरीर में ऊर्जा का स्रोत है ।
तो, हम अपनी माँ से शक्ति प्राप्त करते हैं । और हमारी माँ इसे अपनी माँ से प्राप्त करती है और हमारे पिता भी इसे अपनी माँ से प्राप्त करते हैं ।
यह बहुत दिलचस्प है कि हिंदू धर्म में शक्ति की देवी माँ है - आदि शक्ति या माँ शक्ति, हमारी मां । विज्ञान जो अपनी भाषा में बता रहा है वो हमारे शास्त्र सरल भाषा में बहुत पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं लेकिन दुर्भाग्य की खुदको सनातनी मानने वाले भी अपने शास्त्रों को पढ़ते नहीं....
सभी वैदिक पूजा और यज्ञ और माँ दुर्गा का सही मंत्र हमें उत्तेजित और सशक्त बनाने के लिए सूक्ष्म स्तर पर काम करते हैं ।
आप सभी को नवरात्रि की ढेरों शुभकामनाएं
माइटोकॉन्ड्रियल DNA
माइटोकॉन्ड्रियल DNA, माइटोकॉन्ड्रिया के अंदर पाया जाने वाला छोटा गोलाकार गुणसूत्र (Chromosome) है।
कोशिकाओं में पाए जाने वाले माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा घर या पावर हाऊस कहा जाता है।
गौरतलब है कि माइटोकॉन्ड्रियल DNA माँ से संतान में स्थानांतरित होता है।
यह अध्ययन केवल माइटोकॉन्ड्रियल DNA पर केंद्रित था। इस तात्पर्य यह है कि इसमें पिता के DNA से संबंधित अध्ययन को शामिल नहीं किया गया था ।
नया अध्ययन मानव जीनोम की उत्पत्ति के बारे में जानकारी नहीं देता है बल्कि माइटोकॉन्ड्रियल DNA की उत्पत्ति वाले स्थान और समय के बारे जानकारी प्रदान करता है।
माइटोकॉन्ड्रियल DNA का अध्ययन क्यों किया गया था?
चूँकि माइटोकॉन्ड्रियल DNA केवल माताओं से प्राप्त होता है इसलिये इसकी वंशावली का अध्ययन अन्य जीनों की तुलना में बहुत सरल होता है।
इसका तात्पर्य यह है कि हमारी प्रत्येक आनुवंशिक सामग्री का एक अलग मूल (Origin) हो सकता है और साथ ही हमारे द्वारा इनकी प्राप्ति का तरीका भिन्न हो सकता है।

