कल ही एक खबर आई थी जहां मंदिर की सीढ़ियों पर स्टालिन की फोटो लगाई गई थी जिसपर लोग पैर रखकर जा रहे थे, अब एक और हिंदू विरोधी प्रकाश राज का जोरदार विरोध देखने मिल रहा है। कर्नाटक के कलबुर्गी में लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रकाश राज की शहर में एंट्री बैन करने की मांग उठाई।
वैसे लोगों को लग रहा होगा की ये सब करने से कुछ होना नहीं, लेकिन सच ये हैं को यदि सनातनी इसि प्रकार बस विरोध दर्ज कराना भी सीख जाएं और देशभर में ऐसे विरोध जोरदार तरीके से हों तो यकीन मानिए बहुत बड़ा बदलाव आएगा और जिनका विरोध होगा उनकी सच्चाई करोड़ो लोगों तक पहुंचेगी। देश और धर्म द्रोहियों को इनको औकात दिखानी जरूरी है और उसके लिए संवैधानिक रूप से उनका विरोध भी जरूरी है और धर्मद्रोह यदि कोई नेता है तो उसका इलाज चुनाआें के दौरान वोट ना देकर करना है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कलबुर्गी में युद्ध की मानव त्रासदी पर आधारित एक नाटक ‘ग्यागालु’ की स्क्रीनिंग का आयोजन होना है। प्रकाश राज के इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने आना है। लेकिन उनके हिंदू विरोधी बयानों के चलते हिंदू संगठन काफी नाराज हैं। ऐसे में कलबुर्गी में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। यही नहीं, एक हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने कलबुर्गी के कलेक्टर से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा है।
इस ज्ञापन में हिंदू संगठन ने प्रकाश राज के कलबुर्गी आने पर आपत्ति जताते हुए उनके शहर में प्रवेश पर रोक लगाने की माँग की है। ऐसा पहली बार नहीं है जब प्रकाश राज को हिंदू संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा है। कुछ सप्ताह पहले प्रकाश राज शिवमोग्गा गए थे। वहाँ से उनके जाने के बाद हिंदू संगठनों ने गोमूत्र का छिड़काव कर स्थान को शुद्ध किया था।
बता दें कि प्रकाश राज दिन हिंदू विरोधी बयान को लेकर लगातार विवाद में रहते हैं। 3 सितंबर को प्रकाश राज ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ईवी रामास्वामी उर्फ पेरियार और डॉ. भीमराव अंबेडकर की फोटो शेयर की थी। साथ ही लिखा था, “हिंदू तनतानी नहीं हैं। तनातनी मानवता विरोधी हैं।” तनतानी या TanaThanis शब्द का उपयोग वामपंथी, इस्लामवादी और ईसाई हिंदुओं और सनातन धर्म का मजाक उड़ाने के लिए करते हैं। ऐसे में उन्होंने न केवल में सनातन धर्म का मजाक उड़ाने की कोशिश की है बल्कि एक बार फिर अपना हिंदू विरोधी चेहरा स्पष्ट कर दिया था।
यही नहीं साल 2019 में उसने रामलीला की तुलना चाइल्ड पॉर्न से की थी। साथ ही कहा था कि रामलीला जैसे आयोजनों से अल्पसंख्यकों के मन में डर पैदा हो जाता है। उनके इस बयान पर जमकर बवाल हुआ था।