भारत में मीडिया के विरुद्ध लोग ऐसे ही नहीं बोलते, और ऐसे ही भारतीय मीडिया के लिए #Pressititute जैसा शब्द प्रयोग नहीं किया गया। भारत के कुछ मीडिया वालों पर (खासकर लेफ्ट मीडिया) समय समय पर बिकाऊ होने का आरोप लगा है। अब वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ को मिली चीनी फंडिंग को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने खुलासा किया है जिससे उसके बिकाऊ ही नहीं देशद्रोही होने का भी आरोप लगता है।
अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में शनिवार (5 अगस्त, 2023) को एक लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख में अमेरिकी व्यवसायी के साथ चीनी सरकार के संबंध और ‘न्यूजक्लिक’ नामक वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल को मिल रही फंडिंग को लेकर खुलासा किया गया।
सोशल मीडिया पर एक्टिव हर व्यक्ति जानता है की कौन कौन कथित पत्रकार हैं जो लगातार राष्ट्र विरोधी और हिन्दु विरोधी एजेंडा चलाते हैं, जो न्यूज दिखाते नही अपितु अपने एजेंडे के अनुरूप न्यूज तैयार करते हैं और देश को गुमराह करते हैं। ऐसे ही एक कथित पत्रकार अभिसार शर्मा की सच्चाई अब दुनिया के सामने आ गई है। आशा है इस मामले में गंभीरता से जांच की जाएगी और कठोर सजा भी देशद्रोहियों को दी जाएगी।
‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के अनुसार, “यह बहुत कम लोगों को पता है कि गैर-लाभकारी संगठनों और शैल कंपनियों की आड़ में नेविल रॉय सिंघम चीन के सरकारी मीडिया के साथ मिलकर काम करता है और चीन के प्रोपेगेंडा को दुनिया भर में फैलाने के लिए फंडिंग कर रहा है। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने लेख में कहा है कि नेविल रॉय सिंघम भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में प्रगतिशील होने की वकालत करने के बहाने चीनी सरकार के मुद्दों को लोगों के बीच फैलाने में कामयाब रहा है।
नेविल रॉय सिंघम के चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के साथ मजबूत संबंध हैं। वह चीन की ‘स्मोक लेस’ वार नीति को सफल बनाने में सबसे आगे रहा है। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपने लेख में यह भी कहा है, “चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने शासन काल में सरकारी मीडिया तंत्र का तेजी विस्तार किया है। इसके लिए चीन ने विदेशी मीडिया संस्थानों के साथ मिलकर वहाँ के प्रभावशाली लोगों को अपने प्रचार तंत्र में शामिल किया है। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से चीनी प्रोपेगेंडा को स्वतंत्र मीडिया सामग्री के रूप में दिखाना है।”
NYT ने यह भी कहा है, “इसका यह नतीजा सामने आ रहा है कि धुर वामपंथी संगठन उभर रहे हैं। ये संगठन चीनी सरकार की बातों को दोहराते हैं या इनके विचार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से मेल खाते हैं। यही नहीं चीन का सरकारी मीडिया भी इन संगठनों की बात करता दिखाई देता है।” अपनी जाँच में, न्यूयॉर्क टाइम्स ने पाया है कि नेविल रॉय सिंघम ने भारत में स्थित ‘न्यूजक्लिक’ नामक वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल को भी फंडिंग की है। अमेरिकी अखबार ने पाया है कि न्यूजक्लिक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुद्दों पर बात करता दिखाई दिया है।
नई दिल्ली स्थित कॉर्पोरेट फाइलिंग से भी पता चलता है कि नेविल रॉय सिंघम के नेटवर्क ने प्रोपेगेंडा पोर्टल न्यूज़क्लिक को फंडिंग की थी। इसके तहत न्यूजक्लिक ने अपनी कवरेज को चीनी सरकार के मुद्दों से जोड़ते हुए एक वीडियो में कहा था, “चीन का इतिहास श्रमिक वर्गों को प्रेरित करता रहा है।”