भारत में तो केवल कुराण की कुछ आयतों पर आपत्ती और केस आदि हुए थे, लेकिन विदेशों में तो कुरान को जलाया जा रहा है। हाल ही में स्वीडन और डेनमार्क में कुरान जलाने की खबरें आई थी लेकिन अब खबर एक इस्लामिक मुल्क में ही मुसलमानों द्वारा कुरान जलाने की खबर सामने आई है।
खबर बांग्लादेश से आई है जहां एक स्कूल के प्रिंसिपल नुरूर रहमान और उनके सहयोगी महबूब आलम ने मिलकर कुरान जलाने की इस घटना को अंजाम दिया पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर इसे लगभग 45 जली हुई कुरान की किताबें प्राप्त की। इस घटना के बाद हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और इन दोनों आरोपियों को करने का भी प्रयास कियाअब भले ही इस प्रकार की घटनाओं का इस्लामिक राष्ट्रों द्वारा विरोध किया जाए इन लोगों को करने का प्रयास किया जाए लेकिन वास्तव में तो यह जानने की कोशिश की जानी चाहिए कि आखिर क्यों लोग कुरान को जलाना चाहते हैं या जला रहे हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुरान जलाने के आरोप में बांग्लादेश के पूर्वोत्तर शहर सिलहट से पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया। आरोपितों की पहचान स्कूल के प्रिंसिपल नुरूर रहमान और उसके सहयोगी महबूब आलम नामक के रूप में हुई। आरोपितों का कहना है कि कुरान की प्रतियाँ बहुत पुरानी और कुछ में प्रिंटिंग मिस्टेक थी। इसलिए उन्होंने उनमें आग लगा दी। पुलिस ने दोनों के पास से कुरान की जली हुई 45 प्रतियाँ जब्त की हैं।
एएफपी ने पुलिस अधिकारी अजबहार अली शेख के हवाले से कहा है कि रविवार से लेकर सोमवार रात (6-7 अगस्त 2023) तक कुरान जलाने के विरोध में 10 हजार लोग प्रदर्शन कर रहे थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रबर की गोलियाँ और आँसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।
Wion ने ढाका ट्रिब्यून के हवाले से कहा है कि सिलहट मेट्रोपोलिटन पुलिस आयुक्त मोहम्मद एलियास शरीफ का कहना है कि कुरान जलाए जाने को लेकर स्कूल के शिक्षक, छात्र व क्षेत्र के अन्य लोग प्रिंसिपल व अन्य आरोपित से नाराज थे। इसलिए भीड़ ने दोनों को घेरकर पिटाई कर दी। हालाँकि बाद में पुलिस ने दोनों को बचा लिया। इस दौरान गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर भी हमला किया। हमले में 14 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस और इस्लामवादियों के बीच हुई झड़प में कुछ अन्य लोगों के घायल होने की भी खबर है। हालाँकि घायलों की संख्या की पुष्टि नहीं हुई।
बता दें कि बीते कुछ महीनों में यूरोपीय देश स्वीडन और डेनमार्क में कई बार कुरान जलाई गई है। कई इस्लामिक देश इसका विरोध करते हुए दोनों देशों की सरकारों से रोक लगाने व कार्रवाई करने की माँग कर चुके हैं। हालाँकि स्वीडन और डेनमार्क दोनों ही देशों का कहना है कि वह देश के कानून के चलते कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल, स्वीडन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर मजबूत कानून है। इसके तहत ही लोग वहाँ कुरान जला रहे हैं।