ये आधी सच्चाई है: “गाड़ी संख्या 20912 वंदे भारत एक्सप्रेस भोपाल से इंदौर की दूरी 3 घंटे 06 मिनट में पूरी करेगी. वहीं, अगर किराए की बात करें तो एसी चेयर कार में रिजर्वेशन चार्ज, जीएसटी, केटरिंग समेत अन्य चार्ज मिलाकर आपको ट्रेन का टिकट 910 रुपये का मिलेगा. वहीं, एग्जीक्यूटिव क्लास की बात करें तो सभी चार्ज मिलाकर आपको ट्रेन टिकट के लिए 1600 रुपये देने होंगे. अगर आप बिना केटरिंग सर्विस के ट्रेन टिकट बुक करते हैं तो एसी चेयर कार के लिए 668 रुपये देने होंगे.“ - आजतक डॉट कॉम
दूसरी बात, ये जो बस की टिकट है वो कोई वॉल्वो का नहीं है। उसकी प्राइस 600-1500 तक है। स्क्रीनशॉट नीचे लगा देता हूँ।
तीसरी बात, किसी ने किसी को फोर्स नहीं किया है। अब कोई राजधानी का किराया बता दे और कहे गरीब चढ़ नहीं सकता। गरीब के लिए नहीं है वंदे भारत। कोई हवाई जहाज का टिकट बता देगा कि निम्नवर्गीय कैसे चढ़ेगा।
निम्नवर्गीय के लिए पैसेंजर है, एक्सप्रेस है, मेल है, गरीब रथ है। ये क्या बकैती है कि हर आदमी वंदेभारत में चढ़ेगा क्योंकि नई ट्रेन है। गरीब हो तो बस से जाओ यदि वही कम समय ले रही है, कम पैसे ले रही है।
ये फोटो ऐसे शेयर किया गया है जैसे अब से निम्नवर्गीय को जबरन वंदे भारत का टिकट दे दिया जाएगा। ये किस तरह की बकलोली है कि ये ट्रेन इनके अमीर मित्रों के लिए हैं? मैं चढ़ सकता हूँ, तो मैं मोदी का अमीर मित्र हो गया?
ये कोई फेल्ड कम्यूनिस्ट स्टेट नहीं है कि सब चीज फ्री हो जाए! टमाटर का भाव कम है तब लिखेंगे किसान को कुछ नहीं मिल रहा, बारिश के कारण भाव बढ़े तो आपको कस्टमर की याद आ जाती है। अब किसान नहीं दिखते!
जो जिस वर्ग का यदि उसके लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध न हो तो बवाल करें, पर ये क्या कि बुलेट ट्रेन क्यों बनाना, हम तो अफोर्ड नहीं कर पाएँगे। वामपंथी केवल भिखमंगई करना चाहते हैं और उन्हें लगता है कि उनके निठल्लेपन से आई निर्धनता का कारण अडाणी है क्योंकि उसने तो इतना बड़ा एम्पायर बना लिया है।
ये साले कोढ़ हैं मानवता के नाम पर। भिखारी हो तो भिखारियों की तरह पैदल चलो। निम्नवर्गीय हो तो निम्नवर्गीय पैसेंजर में, बस में चढ़ो। मध्यमवर्गीय हो तो गरीब रथ, एसी ट्रेन में चढ़ो। उच्चवर्गीय हो तो हवाई जहाज, राजधानी में चढ़ो। यही नियम है, यही उचित है। नकारे लोगों को काम कर के पैसे कमाना चाहिए ताकि उनका आर्थिक स्तर बढ़े। फोटो लगा कर मोदी का अमीर मित्र की बकचोदी मूर्खता की निशानी है। जिसने लगाया है, वो लोगों को ठग रहा है।
साभार - अजीत भारती जी