🏹कलयुग की सबरी🚩
👉🏻सीता मां कि रसोईं हरी धनिया पत्तों के सुगंध से भर गयी होगी।
🏹मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम जी की शोभायात्रा निकल रही थी, उस सब्जी बेचने वाली वृद्धा माँ के पास निछावर करने के लिए फूल नहीं थे तो भाव में धनिया के पत्ते उठाकर यात्रा पर बरसाने लगीं।
👉🏻इस भाव के आगे छप्पन भोग भी फीके पड़ जाएं।
गर्व करो सनातनियों की हम ऐसी संस्कृति से है जो पत्थर नहीं फूल बरसाते हैं लेकिन यह मत भूलो कि हम ऐसे संस्कृति से हैं जो पत्थर फेंकने को सही जवाब भी देते हैं।
बस वर्तमान की समस्या यही है की हमने "अहिंसा परमो धर्म" तो रट लिया लेकिन हमारे अवतारों द्वारा हिंसा का जो जवाब दिया जाता था धर्म रक्षा के लिए वो भूल गए।