आओ अब लौट चलें
अपने गौरवशाली इतिहास को जानें।
गर्व करें अपने भारतीय होने पर।
🙏🏻🚩🙏🏻
'जो जीता वही सिकंदर', सबने यह मुहावरा खूब सुना होगा और कई बार तो इस्तेमाल भी किया होगा. मगर, उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में इस मुहावरे को बदल दिया गया है. अब से कहा जाएगा #जोजीतावहीसम्राटविक्रमादित्य'. इस अभियान को छेड़ा है विक्रम विश्वविद्यालय के #कुलपतिअखिलेशकुमार_पांडेय ने. उनका कहना है कि हमारे देश में असली आदर्श महाराज विक्रमादित्य हैं।
बहुत लोग लगे हैं इस मुहिम पर और उनका साथ देना हम सबका कर्तव्य है।
भारतीय इतिहास को छिपाया है और विदेशियों को योद्धा और सिकंदर बताया और हिंदुओं के श्रेष्ठ योद्धाओं का कहीं नाम तक नहीं।
और ये प्रचार किया गया जो जीता वो सिकंदर
जबकि सिकंदर कभी नहीं जीत पाया विक्रमादित्य से।
महाराजा शूरवीर सम्राट #महाराजा_विक्रमादित्य का सविस्तार वर्णन भविष्य पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है। विक्रमादित्य के बारे में प्राचीन अरब साहित्य में वर्णन मिलता है। उस वक्त उनका शासन अरब तक फैला था। दरअसल, विक्रमादित्य का शासन अरब और मिस्र तक फैला था और संपूर्ण धरती के लोग उनके नाम से परिचित थे।
इतिहासकारों के अनुसार उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा ईरान, इराक और अरब में भी था। विक्रमादित्य की अरब विजय का वर्णन अरबी कवि जरहाम किनतोई ने अपनी पुस्तक 'सायर-उल-ओकुल' में किया है। पुराणों और अन्य इतिहास ग्रंथों के अनुसार यह पता चलता है कि अरब और मिस्र भी विक्रमादित्य के अधीन थे।
तुर्की के इस्ताम्बुल शहर की प्रसिद्ध लायब्रेरी मकतब-ए-सुल्तानिया में एक ऐतिहासिक ग्रंथ है 'सायर-उल-ओकुल'। उसमें राजा विक्रमादित्य से संबंधित एक शिलालेख का उल्लेख है जिसमें कहा गया है कि '…वे लोग भाग्यशाली हैं, जो उस समय जन्मे और राजा विक्रम के राज्य में जीवन व्यतीत किया। वह बहुत ही दयालु, उदार और कर्तव्यनिष्ठ शासक था, जो हरेक व्यक्ति के कल्याण के बारे में सोचता था। ...उसने अपने पवित्र धर्म को हमारे बीच फैलाया, अपने देश के सूर्य से भी तेज विद्वानों को इस देश में भेजा ताकि शिक्षा का उजाला फैल सके। इन विद्वानों और ज्ञाताओं ने हमें भगवान की उपस्थिति और सत्य के सही मार्ग के बारे में बताकर एक परोपकार किया है। ये तमाम विद्वान राजा विक्रमादित्य के निर्देश पर अपने धर्म की शिक्षा देने यहां आए…।'
अन्य सम्राट जिनके नाम के आगे विक्रमादित्य लगा है:- यथा श्रीहर्ष, शूद्रक, हल, चंद्रगुप्त द्वितीय, शिलादित्य, यशोवर्धन आदि। दरअसल, आदित्य शब्द देवताओं से प्रयुक्त है। बाद में विक्रमादित्य की प्रसिद्धि के बाद राजाओं को 'विक्रमादित्य उपाधि' दी जाने लगी।