कुंभलगढ़ नाम तो जानते ही होंगे भारत के परम शूरवीर महाराणा प्रताप जी की जन्मस्थली जो वीरता ,स्वाभिमान वा गौरव का प्रतीक है जो शत्रुओं से अपराजेय रहा है और मुगलों ने जिस गढ़ को चाह कर भी नही जीत सके वहां आज अजान की छूट।
आखिर ऐसा क्यों है ? यह प्रश्न हिंदुओ से है क्या हम स्वयं को भूल गए हैं या अपने महापुरुषो के बलिदानों को भूल गए हैं।
क्या हमे अपनी सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा नहीं करनी चाहिए?
हमारा इतिहास और हमारी संस्कृति शौर्य, पराक्रम, वीरता और गौरव से भरी हुई है हमे इसकी रक्षा करनी होगी ।
कुंभलगढ़ में अजान एक धब्बा है मेवाड़ के शौर्य का अपमान है। हमारे महापुरुषों की वीरता और स्वाभिमान पर, जब इस पर श्री बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर श्री धीरेन्द्र जी ने बयान दिया तो इस पर विवाद आरंभ हो गया कुछ विशेष वर्ग के लोग अभिव्यक्ति की आजादी पर कुछ भी बोल सकते हैं परंतु हमारे साधु ,संत कुछ भी बोल दे तो विवाद प्रारंभ हो जाता है।
आखिर हिंदुओ के साथ भेदभाव क्यों?
इसी प्रकार जब हनुमान जन्मोत्सव के दिन कुछ हिंदू भाइयों ने कुंभलगढ़ पर भगवा ध्वज फहराया तो उन्हे गिरफ्त में ले लिया गया हालांकि बादमें छोड़ दिया गया, राजस्थान सरकार की भेदभाव और तुष्टिकरण की राजनीति के कारण हिंदू अपने ही देश में प्रताड़ित हो रहा है।
आखिर ऐसा कब तक चलेगा ? हिंदू भाइयों को विचार करना ही होगा की हम अपने ही देश में अपनी ही सांस्कृतिक धरोहर पर अपना सांस्कृतिक ध्वज नही फहरा सकते हैं।
हिंदुओ जागना होगा स्वाभिमान के साथ उठना होगा हमारी संस्कृति पर जो चुस्लीमो और पाश्चात्य संस्कृति का धब्बा लगा हुआ है इसे मिटाना होगा। श्री राम,कृष्ण की धरती पर धर्म की ध्वजा फहराना होगा।