11 बातें जो हर हिंदु को ज्ञात होनी चाहिए।
1. क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लैंड के ‘house of lord‘ के सदस्य रहे थे ? नहीं ना ?
फिर ये क्या Lord Rama, Lord Krishna लगा रखा है ? सीधे सीधे भगवान राम, भगवान कृष्ण कहिये ।
2. किसी की मृत्यु होने पर "RIP" मत कहिये।
RIP यानी rest in peace जो दफ़नाने वालों के लिए कहा जाता है।
आप कहिये - "ओम शांति", "सद्गति मिले", अथवा "मोक्ष प्राप्ति हो" ! आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती ! आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिलता है !
3. अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को Mythological मत कहियेगा !
ये हमारा गौरवशाली इतिहास है और राम एवं कृष्ण हमारे ऐतिहासिक देवपुरुष हैं, कोई Mythological कलाकार नहीं !
4. अपने इष्ट देवों का नाम आदर सहित लें,
उनका मज़ाक न बनने दें !
5. हमारें मंदिरों को प्रार्थनागृह न कहें !
मंदिर देवालय होते हैं, भगवान के निवासगृह ! वह प्रार्थनागृह नहीं होते ! मंदिर में केवल प्रार्थना नहीं होती !
अन्य पूजा पद्धति में साप्ताहिक प्रार्थना होती है जबकि हिंदू धर्म में ये नित्य कर्म है।
6. अपने बच्चों के जन्मदिन पर दीप बुझा के अपशकुन न करें ! अग्निदेव को न बुझाए !
अपितु बच्चों को दीप की प्रार्थना सिखाएं "तमसो मा ज्योतिर्गमय" ( हे अग्नि देवता, मुझे अंधेरे से उजाले की ओर जाने का रास्ता बताएं" ! ये सारे प्रतीक बच्चों के मस्तिष्क में गहरा असर करते हैं !
7. कृपया "Spirituality" और "Materialistic" जैसे शब्दों का उपयोग करने से बचें !
हिंदूओं के लिये सारा विश्व दिव्यत्व से भरा है ! "Spirituality" और "Materialistic" जैसे शब्द अनेक वर्ष पहले युरोप से यहां आये जिन्होंने चर्च और सत्ता मे फरक किया था - या विज्ञान और धर्म में !
इसके विपरित भारतवर्ष में ऋषि मुनि हमारे पहले वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म का मूल विज्ञान में ही है ! यंत्र, तंत्र, एवं मंत्र यह हमारे धर्म का ही हिस्सा है !
8. "Sin" इस शब्द के स्थान पर "पाप" शब्द का प्रयोग करें !
हम हिंदूओं मे केवल धर्म ( कर्तव्य, न्यायपरायणता, एवं प्राप्त अधिकार ) और अधर्म (जब धर्म पालन न हो) है ! पाप अधर्म का हिस्सा है !
9. ध्यान के लिये 'Meditation' एवं प्राणायाम के लिये 'Breathing exercise' इन संज्ञाओं का प्रयोग न करें !
यह बिलकुल विपरीत अर्थ ध्वनित करते हैं !
10. क्या आप भगवान से डरते है ?
नहीं ना ? क्यों ? क्योंकि भगवान तो चराचर मे विद्यमान हैं, अजन्मा, निराकार, परोपकारी, न्यायकारी और सर्वशक्तिमान है ! इतना ही नहीं हम स्वयं भगवान का ही रूप हैं ! भगवान कोई हमसे पृथक नहीं जो हम उनसे डरें !!
तो फिर अपने आप को "God fearing" अर्थात भगवान से डरने वाला मत कहिये !
11. ईश्वर (धर्म ) भी उसकी रक्षा नहीं करते जो खुदकी रक्षा का सामर्थ्य न रखता हो... इसलिए अपनी रक्षा के लिए दूसरों पर आश्रित ना हों अपितु खुद अपनी रक्षा की तैयारी सुनिश्चित करें.
ध्यान रहे, विश्व मे केवल उनका सम्मान होता है जो स्वयं का सम्मान करते है !