जेहादियों का सबसे ताकतवर हथियार 'अल-तकिया'
इसने Eस्लाम के प्रचार प्रसार में जितना योगदान दिया है उतना इनकी सैंकड़ों हजारों कायरों की सेनायें नहीं कर पायीं ।
इस हथियार का नाम है "अल - तकिया" । अल-तकिया के अनुसार यदि Eस्लाम के प्रचार , प्रसार अथवा बचाव के लिए किसी भी प्रकार का झूठ, धोखा , द्रऋह करना पड़े - सब धर्म स्वीकृत है ।
इस प्रकार अल - तकिया ने जेहादियों को सदियों से बचाए रखा है ।
जेहादियों के विश्वासघात के अन्य उदाहरण ---
1 -मुहम्मद गौरी ने 17 बार कुरआन की कसम खाई थी कि भारत पर हमला नहीं करेगा, लेकिन हमला किया ।
2 -अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तोड़ के राणा रतन सिंह को दोस्ती के बहाने बुलाया फिर क़त्ल कर दिया ।
3 -औरंगजेब ने शिवाजी को दोस्ती के बहाने आगरा बुलाया फिर धोखे से कैद कर लिया ।
4 -औरंगजेब ने कुरआन की कसम खाकर श्री गोविन्द सिघ को आनद पुर से सुरक्षित जाने देने का वादा किया था. फिर हमला किया था.
5 -अफजल खान ने दोस्ती के बहाने शिवाजी की ह्त्या का प्रयत्न किया था ।
6-मित्रता की बातें कहकर पाकिस्तान ने कारगिल पर हमला किया था ।
ये गजवा-ए-हिन्द का भी सबसे पहला स्टेप्स मन जा सकता है-
‘अल-तकिया’ – यह वह अवस्था है जब कटटरपंथी कमजोर या कम संख्या में होते हैं। इसने Eस्लाम के प्रचार प्रसार में जितना योगदान दिया है उतना इनकी सैंकड़ों हजारों की सेनायें भी नहीं कर पायीं ।
अल-तकिया कट्टरपंथी जेहादियों का सबसे घातक और खतरनाक हथियार है…
इसके अनुसार यदि Eस्लाम के प्रचार , प्रसार अथवा बचाव के लिए किसी भी प्रकार का झूठ, धोखा , द्रोह भी करना पड़े वह सब जायज हैं । इस स्थिति में काफिरों से झूठ बोलकर, अपनी बेचारगी का ढोंग करके उन्हे धोखे में रखा जाता है जैसे ही मौका मिले उनको खत्म करना या धर्म बदलने को मजबूर करना, उनकी लड़कियों और औरतों के साथ धोखा देकर, प्यार से या बलात्कार द्वारा सम्बन्ध बनाना और उन्हें फिर मजबूर करके या ब्लैकमेल करके Eस्लाम कुबूल करने को मजबूर करना सब इसी कैटेगरी में आते हैं और ताज्जुब की बात है कि यह सब इस धर्म में जायज माना जाता है….
आजकल भारत में ऐसा ही चल रहा है.. और शायद अपने को माडर्न और एड्वांस समझने वाले यूरोपीय देश भी इसी चक्कर में फंस चुके हैं