जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है...
आज यह पंक्तियां कांग्रेस सरकार द्वारा की जा रही तानाशाही पर एकदम फिट बैठ रही हैं।
पहले देश के रक्षकों की वीरांगनाओं पर और अब जीवन रक्षक डॉक्टरों पर सरकार लाठियां बरसा रही है।
यह तानाशाही रवैया इस सरकार की बौखलाहट का सबूत है।
गहलोत सरकार के राज में डॉक्टर्स जो मरीजों के लिए भगवान होते हैं उनकी पिटाई केवल इसलिए कर दी की वो अपनी मांगें रख रहे थे...महिलाओं पर भी बरसाई लाठियां, ये लोकतंत्र है? फासीवाद पर ज्ञान देने वाले अब कहां हैं? IMA अब कौनसी दुनिया में है?
जयपुर में राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे डॉक्टरों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. सभी निजी अस्पताल बंद कर दिए हैं. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ज्वाइंट एक्शन कमेटी की सफल बातचीत के बाबजूद राइट टू हेल्थ बिल का विरोध जारी है. रविवार को सभी निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने अपने अस्पताल बंद करने का निर्णय लिया था
डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि उनके कपड़े पुलिस द्वारा फाड़ दिए गए। कथित तौर पर महिला डॉक्टरों के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया।
अजमेर में विरोध प्रदर्शन
राइट टू हेल्थ बिल को लेकर विरोध कर रहे प्राइवेट डॉक्टर्स के साथ जयपुर में हुए लाठीचार्ज का मंगलवार को अजमेर जेएलएन हॉस्पिटल के संपूर्ण डॉक्टर्स के द्वारा विरोध किया गया। राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स और रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के बैनर तले काली पट्टी बांधकर 2 घंटे विरोध किया। वही, रेजिडेंट डॉक्टर्स संपूर्ण कार्य बहिष्कार पर उतरके जयपुर में हुए प्रदर्शन के दौरान प्राइवेट डॉक्टर्स पर लाठी चार्ज करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई।.
रेजिडेंट डॉक्टर संपूर्ण कार्य बहिष्कार
दैनिक भास्कर के अनुशार जेएलएन रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिषेक ने बताया कि डॉक्टर्स राइट टू हेल्थ बिल की खामियों को लेकर विभिन्न तरीकों से अपना विरोध प्रदर्शन दर्शा रहे हैं। लेकिन सरकार की तरफ से कोई भी सकारात्मक प्रतिक्रिया ना मिलने और बिल की खामियों का संतोषजनक निराकरण न मिलने के कारण अब राजस्थान के सभी निजी चिकित्सकों ने अपनी सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी है। साथ ही बिल का विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स पर जयपुर में लाठी चार्ज किया गया जिससे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं है, इसे लेकर जेएलएन हॉस्पिटल के सभी रेजिडेंट डॉक्टर्स में रोष है और मंगलवार को हॉस्पिटल के बाहर प्रदर्शन कर संपूर्ण कार्य बहिष्कार पर उतर गए हैं और उनकी मांग है कि जयपुर में डॉक्टर्स पर लाठीचार्ज करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित किया जाए नहीं तो तब तक रेजिडेंट डॉक्टर्स संपूर्ण कार्य बहिष्कार पर रहेंगे।
सोमवार को प्रदेशभर के 2400 से अधिक निजी अस्पताल संचालक सड़कों पर उतरे। सबसे पहले, डॉक्टर और अस्पताल प्रशासक एसएमएस अस्पताल में जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के सभागार में एकत्रित हुए, जहां उन्होंने प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ अपनी आपत्तियां रखीं। दोपहर करीब 12 बजे एसएमएस अस्पताल से डॉक्टर निकले और सेंट्रल पार्क के सामने स्टैच्यू सर्कल पहुंचे।
हालांकि, पुलिस ने दोपहर करीब 1 बजे आंदोलनकारियों को स्टैच्यू सर्कल के पास रोक दिया, जिससे दोनों पक्षों के बीच हाथापाई हुई।
पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए थे, जबकि डॉक्टरों का आरोप है कि पुलिस की उनसे झड़प हुई।
संयुक्त कार्रवाई समिति, जिसने कुछ दिन पहले विधेयक का समर्थन किया था, सोमवार को भी विरोध में शामिल हो गई थी। कमेटी का गठन डॉक्टरों की यूनियनों ने किया था।
आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि उनके द्वारा रखे गए सुझावों को विधेयक में शामिल नहीं किया गया है।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक राजस्थान के निवासियों को निजी प्रतिष्ठानों सहित अस्पतालों, क्लीनिकों और प्रयोगशालाओं में मुफ्त इलाज का अधिकार देने का प्रयास करता है।
--आईएएनएस