गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 01 (अर्जुनविषादयोग) श्लोक 36
आज का पंचांग
रविवार, ०५/०३/२०२३,
फाल्गुन, शुक्लपक्ष, त्रयोदशी, युगाब्ध - ५१२४
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी दोपहर 02:07 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅दिनांक - 05 मार्च 2023
⛅दिन - रविवार
⛅शक संवत् - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वसंत
⛅मास - फाल्गुन
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - अश्लेषा रात्रि 09:30 तक तत्पश्चात मघा
⛅योग - अतिगण्ड रात्रि 08:21 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅राहु काल - शाम 05:16 से 06:44 तक
⛅सूर्योदय - 06:58
⛅सूर्यास्त - 06:44
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:20 से 06:09 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:26 से 01:15 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔸होलिका दहन कब करें और रंग कब खेलें ? (6/7 या 8 मार्च को ?)🔸
🔸कुछ प्रमुख कारणों से इस वर्ष होलिका दहन का योग दो दिन बन रहा है । जहाँ एक तरफ देश के अधिकांश भाग में 6 मार्च को होलिका दहन का योग है, वहीं दूसरी तरफ भारत के कुछ पूर्वी राज्यों में 7 मार्च को भी योग है ।
🔸धर्मसिंधु, ज्योतिषशास्त्र एवं अन्य शास्त्रों तथा विद्वत्समाज के अनुसार होलिका दहन के सारे मानकों के निष्कर्षरूप में 6 मार्च को शाम 6.38 से 9.06 बजे के बीच तक होलिका दहन का शुभ कार्य किया जा सकता है ।
🔸केवल जिन स्थानों पर सूर्यास्त शाम 6.10 से पहले हो रहा है उन स्थानों पर होलिका दहन का योग 7 मार्च को भी बन रहा है । अतः जो लोग 7 मार्च को होलिका दहन करना चाहते हैं वे अपने स्थानों के सूर्यास्त का समय पता कर लें और 7 मार्च के शाम - 6.24 से रात्रि 8.51 बजे के बीच होलिका दहन का कार्य सम्पन्न कर लें ।
🔸धुलेंडी और रंग की होली कब ?🔸
🔸जहाँ 6 मार्च को होलिका दहन किया जायेगा वहाँ धुलेंडी (रंग होली) 7 मार्च को होगी । और जहाँ 7 मार्च को होलिका दहन किया जायेगा वहाँ धुलेंडी (रंग होली) 8 मार्च को मनाई जायेगी ।
🔸संत श्री आशारामजी आश्रम अहमदाबाद में 6 मार्च 2023 को शाम की संध्या के बाद रात्रि 8 से 9 बजे के बीच होलिका दहन किया जायेगा ।
🔸होली की रात्रि चार पुण्यप्रद महारात्रियों में आती है । होली की रात्रि का जागरण और जप बहुत ही फलदायी होता है । इसलिए इस रात्रि में जागरण और जप कर सभी पुण्यलाभ लें । यह उत्सव प्राकृतिक रंगों द्वारा स्वास्थ्य-सुरक्षा, आनंद-उल्लास के साथ ज्ञान, ध्यान, जागरण, जप के द्वारा आंतर चेतना जगानेवाला तथा अंतर आराम और अंतरात्मा की प्रीति देनेवाला पर्व है ।
🔹 रविवार विशेष🔹
🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।
🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।
🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।
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