कुछ लोगों ने आरोप लगाया की मुस्लिमों को उनके घरों में नमाज पढ़ने से रोका गया और इनपर जुर्माना भी लगाया गया..। ये आरोप उत्तर प्रदेश पुलिस पर जुबैर - सायमा गिरोह द्वारा लगाया गया है और अब इनके विरुद्ध कार्यवाही की मांग उठाई गई है।
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सोशल मीडिया पर ये लोग ऐसा शेयर कर रहे हैं की मुरादाबाद में मुस्लिमों को अपने घर में भी नमाज नहीं पढ़ने दिया जा रहा है।
ये लोग दावा कर रहे हैं कि पुलिस अपने घर में नमाज पढ़ने वाले मुस्लिमों को भी रोक रही है और उन पर कार्रवाई कर रही है, सिर्फ इसीलिए क्योंकि हिन्दू संगठनों और कार्यकर्ताओं को ये पसंद नहीं आ रहा। ALTNews का संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने भी सोशल मीडिया पर यही फैलाया कि यूपी पुलिस मुस्लिमों को रमजान के दौरान घर में भी नमाज नहीं पढ़ने दे रही। इसकी सच्चाई हम जानेंगे, लेकिन उससे पहले प्रोपेगंडा फ़ैलाने वालों को जानिए।
‘मुरादाबाद में मुस्लिमों को रमजान में घर में भी नमाज नहीं पढ़ने दे रही यूपी पुलिस’ – प्रोपेगंडा
‘रेडियो मिर्ची’ की RJ सायमा ने इस फेक न्यूज़ को कोट करते हुए लिखा,, “साफ़-साफ़ ज़हर फैलाया जा रहा है। कहाँ हैं यहाँ का न्यायालय? कहाँ है इन्साफ़? कहाँ है इंसानियत? गुंडों को पकड़ने की जगह उनकी मनमानी चलाई जा रही है।” उन्होंने पत्रकार विनोद कापड़ी के जिस ट्वीट को कोट किया, उसमें लिखा था, “मुरादाबाद के कुछ मुस्लिम रमजान के दिनों पर होने वाली तरविह की नमाज़ अपने ही घर में अपने ही घर के गोदाम में कर रहे थे। बजरंग दल ने ना सिर्फ़ इस नमाज़ को रुकवा दिया बल्कि अब इन मुस्लिमों को 5-5 लाख रुपए का नोटिस भी थमा दिया गया है। इतना उत्पीड़न? इतना अत्याचार?”
मोहम्मद जुबैर ने पहले तो गोदाम को ‘घर’ लिख कर ऐसे दिखाया जैसे ये मुस्लिम अलग-अलग अपने-अपने घरों में नमाज पढ़ रहे हों और उन्हें रोक दिया गया हो। साथ ही उसने उस ट्वीट को रीट्वीट किया, जिसमें पूछा गया था कि क्या अब एक मुस्लिम अपने घर में भी नमाज नहीं पढ़ सकता? जब यूपी पुलिस के बयान से उसकी पोल खुल गई, तब वो कहने लगा कि अधिकतर मस्जिद भरे हुए हैं, ऐसे में गोदामों में ये सब मजहबी कार्यक्रम क्यों नहीं हो सकते?
खुद को पत्रकार बताने वाले सदफ आफरीन ने लिखा, “पहले नमाज़ न पढ़ने देने का नोटिस, फिर जुर्माना! अब खुद के घर मे नमाज़ पढ़ना इतना बड़ा अपराध हो गया है कि मजिस्ट्रेट पर्थम ने 5–5 लाख का नोटिस थमा दिया! मुरादाबाद प्रशासन से बस छोटा सा सवाल – किस कानून के अंतर्गत ये जुर्माना लगाया गया है?” हालाँकि, सच्चाई ये है कि इस मामले में किसी पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया है। ये लोग ऐसा दिखा रहे जैसे ‘बजरंग दल’ के कहने पर पुलिस ने कार्रवाई की हो।
इसी तरह, सोशल मीडिया पर खुद को मुस्लिमों का ठेकेदार बताने वाले कई लोगों ने ऐसे ट्वीट्स शेयर किए और यूपी पुलिस को बदनाम किया। जहाँ तक कानूनी नोटिस देने की बात है, इसका अधिकार संविधान हर व्यक्ति को देता है। नोटिस भेजे जाते हैं, नोटिस का जवाब दिया जाता है। अदालत में तय होता है कि कौन गलत है और कौन सही। इसमें पुलिस का रोल जाँच का होता है, जो बाद में निष्कर्ष देती है। लेकिन, ये कहना कि फलाँ ने केस कर दिया तो ये लोकतंत्र की हत्या है, बिल्कुल उचित नहीं है।
जानिए क्या है सच्चाई, यूपी पुलिस को बदनाम करने की साजिश
उत्तर प्रदेश पुलिस ने बताया है कि असल में मामला क्या है। दरअसल, ये मामला कटघर क्षेत्र में लाजपत नगर चौकी के अंतर्गत आने वाले इलाके का है। यहाँ ‘ज़ाकिर आयरन स्टोर’ चलाने वाला ज़ाकिर हुसैन का गोदाम भी है। नमाज वाले जिस प्रकरण का जिक्र किया जा रहा है, वो शनिवार (25 मार्च, 2023) का है। ज़ाकिर हुसैन ने इसी गोदाम में रमजान के तीसरे दिन तरावीह (कुरान के हिसाब से सुन्ना दुआ) पढ़ने का कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें 25-30 लोग उपस्थित थे।
यूपी पुलिस ने ये भी जानकारी दी है कि ये इलाका हिन्दू बहुल है, मिश्रित है। इसीलिए, स्थानीय लोगों ने गोदाम में भीड़ द्वारा खुलेआम नमाज पढ़े जाने का विरोध किया और पुलिस में शिकायत की। यूपी पुलिस ने नमाज रोकी नहीं, बल्कि अपनी मौजूदगी में तरावीह को पूर्ण कराया – स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद। जब यूपी पुलिस ने अपनी मौजूदगी में इस्लामी तरावीह को पूर्ण करवाया, फिर कैसे कहा जा रहा है कि ‘नमाज पढ़ने से रोका गया’?
हालाँकि, इस दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस ने नमाजियों को ये निर्देश दिया कि वो इस मजहबी कार्यक्रम को सामूहिक रूप से परंपरागत रीति-रिवाज के हिसाब से चिह्नित मजहबी स्थानों, या फिर व्यक्तिगत रूप से अपने घरों में ही पढ़ें। जाकिर हुसैन ने ने थाने में इस बाबत लिखित सहमति भी दे दी है। यूपी पुलिस ने सतर्कता के लिहाज से आवश्यक निरोधात्मक कार्यवाही किए जाने की भी जानकारी दी है। साफ़ है, वामपंथी झूठ बोल कर योगी सरकार को बदनाम कर रहे हैं।