नमस्कार, दोस्तों आज का ये आर्टिकल कोई खबर नहीं अपितु एक व्यक्तिगत ब्लॉग है जो वर्तमान की स्थितियों को देखने के बाद भविष्य का विचार करते हुए तैयार किया गया है।
इसे आप एक विचार कह सकते हैं "आने वाले भविष्य का विचार" लेकिन ये वर्तमान की घटनाओं के आधार पर तैयार किया गया है इसलिए थोड़ा महत्व तो रखता है। सभी राष्ट्रप्रेमी सनातनियों से निवेदन है की इसे अवस्य पढ़ें और गहनता से विचार भी करें, और यदि ये ब्लॉग प्रभावी लगे तो शेयर करने की हिम्मत भी जुटाएं।
भारत में हिंदुओं के त्योहारों और परंपराओं पर वैचारिक हमले तो होते ही हैं लेकिन जमीनी स्तर पर भी उन पर भयानक हमले होते हैं। वैचारिक हम लोगों की तो तादाद कम होती जा रही है क्योंकि सोशल मीडिया पर जागरूक हिंदू अपना काम करते हुए हमलावरों को सही भाषा में जवाब दे रहे हैं लेकिन जमीनी हमले ऐसा लग रहा है कि बढ़ते जा रहे हैं और एक विकराल रूप ले रहे हैं जो एक भयानक भविष्य की तरफ इशारा कर रहे हैं इन हम लोग को रोकने का साहस अभी हिंदू समाज नहीं जुटा पाया है और तो और प्रशासन भी इन हमलों को रोकने में पूरी तरह नाकाम नजर आता है, यहां तक कि कुछ बुद्धिजीवी हो और नेताओं के द्वारा हिंदुओं को ही जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है बस इसी चिंता के साथ भविष्य की कल्पना इस आर्टिकल में की जा रही है जिसे हम सभी को समझना चाहिए और भविष्य को सुधारने के लिए क्या किया जाए इस पर गहनता से विचार किया जाना चाहिए।
1947 में भारत का विभाजन हुआ था वह भी धर्म के आधार पर मुसलमानों ने अपने लिए अलग देश की मांग की थी और उन्हें पाकिस्तान के रूप में अलग देश भी मिला लेकिन उसके बावजूद बहुत से मुसलमान करोड़ों की संख्या में इसी देश में रुक गए और भारत को धर्म के आधार पर हिंदू राष्ट्र नहीं बनाया गया बल्कि इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी के समय सेक्यूलर शब्द से इस भारत को साइकिल राष्ट्र बना दिया। इसके अलावा भी सरकारों ने अनेकों ऐसे कारनामे किए जिससे मुसलमानों को बहुत लाभ मिला बहुत शक्ति मिली जिसका अब दुरुपयोग होता साफ साफ नजर आ रहा है और उसके दुष्परिणाम उन हिंदुओं को भुगतना पड़ रहा है जिन्होंने अपने देश का एक टुकड़ा काटकर इन मुसलमानों को पहले ही दे दिया था।
अजीब विडंबना है की भारत हिंदू राष्ट्र है लेकिन यदि कोई इसे हिंदू राष्ट्र कहता है तो उस पर आपत्ति जताई जाती है उसे मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं भड़काने वाला कहा जाता है। इसके विपरीत मुसलमानों द्वारा सर तन से जुदा जैसे खतरनाक नारे लगाए जाने पर भी कोई खास रिएक्शन देखने नहीं मिलता।
ऐसे में हिंदुओं को अपने भविष्य की चिंता तो करनी ही चाहिए। जहां एक तरफ मुसलमानों को अल्पसंख्यकों के नाम पर अनेकों अधिकार दिए हुए हैं और जो अधिकार नहीं दिए वह भी छीनने की उन्हें हिम्मत इन 70 सालों में दी जा चुकी है। अब तो खुद राजनेता यह कहते हैं कि मुसलमानों के इलाके में हिंदू रेलिया ना निकाले शोभायात्रा ना निकाले (हावड़ा में शोभायात्रा में जिहादी हमले के बाद ममता बनर्जी ने यह बातें कहीं साथ ही मुसलमानों को क्लीन चिट भी द कि यह रमजान का महीना है और इस महीने में वह गलत काम नहीं करते)
अब जरा विचार कीजिए कि यदि भविष्य में इनकी जनसंख्या और तेजी से बढ़ी और यह हमारे इलाकों में पहुंच गए तब क्या होगा? क्या पूरे देश में हिंदुओं को रेलिया या शोभायात्रा निकालने का अधिकार होगा? और परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना भी गलत नहीं होगा कि भविष्य में हो सकता है हिंदुओं से उनकी पूजा पाठ का अधिकार भी छीना जाए! और ऐसा हुवा तो भविष्य का हिंदू क्या करेगा? हमारी आने वाली पीढ़ियां कैसे जिएंगी? विचार कीजिए , हमें विचार करना होगा, और इसका समाधान खोजना होगा ताकि हम आज जिस भयावह भविष्य की कल्पना कर पा रहे हैं वो वास्तविकता में ना बदले।
जिस क्षेत्र में हिंदू बहुल होते हैं वहां ये जैसी 2 - 4 की संख्या में भी हों तो भी खुदको सुरक्षित पाते हैं, हां हिंदू जरूर इनसे उलझने से बचते हैं भले ही ये संख्या में नगण्य ही क्यों न हो, और ये कू हवा हवाई बात नहीं अपितु पूर्ण सत्य है... वहीं यदि मुस्लिम बहुल इलाका है तो हिंदुओं का वहां रहना कठिन हो जाता है, हिंदू पलायन करने लगते हैं, क्योंकि वहां उन्हें जीवन कैद में लगने लगता है, वहां हिंदू अपने धार्मिक कृत्य ठीक से नहीं कर पाते, कई बार तो जान का खतरा भी बन जाता है और बहन बेटियों की इज्जत भी खतरे में पड़ जाती है।
अब सोचिए ये जो स्थिति है वो धीरे धीरे बढ़ती जा रही है, कश्मीर, बंगाल, तो छोड़िए उत्तराखंड जिसे देवभूमि बड़ी शान से हैं कहते हैं वो भी जेहादियों की जकड़ में आती जा रही है, गुजरात की भेट द्वारिका का सच तो सबने सुना ही है, की कैसे उस पवित्र भूमि पर जेहादियों ने अपना आधिपत्य स्थापित कर दिया था। ये सब वाकिया भविष्य की भयावह स्थिति को तरफ इशारा कर रहे हैं (रेप, लूट, हत्या हिंदुओं के साथ ये सब आम हो जाएंगे जैसे इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान, बंगलादेश आदि में होते हैं)।
1947 में जिस विभाजन के दर्द को भारत ने सह है, संभवत भविष्य में इससे भी कहीं भयानक मंजर तैयार हो और अनगिनत हिंदुओं को हत्याएं हों, हिंदू बहन बेटियों का सामूहिक बलात्कार उनके बाप भाई के सामने किया जाय, हिंदुओं का घर ,गाड़ी, सब कुछ या तो जला दिया जाय या लूट लिया जाय।
ऐसी भयानक स्थिति को सच में बदलने से रोकने के लिए केवल सरकार और प्रशासन के भरोसे रहना हिंदुओं की भयानक भूल होगी, जिसका दुष्परिणाम उन्हें भोगना पड़ सकता है। इसलिए कम से कम अपनी और अपने परिवार की रक्षा की जिम्मेदारी तो सभी सनातनी खुद उठाएं और वर्तमान स्थिति को देखकर, भविष्य का अंदाजा लगाकर आवश्यक सेफ्टी स्टेप्स उठाए, ताकि अपनी बहन बेटियों को जेहादियों का शिकार होने से बचा सके, खुदको और अपने परिवार को सुरक्षित कर सके।
पुलिस प्रशासन यदि आपकी सुरक्षा में सक्षम होता तो कट्टरपंथियों के हमलों से आपकी सुरक्षा करने के लिए आप पर प्रतिबंध लगाने का विकल्प नहीं चुनता, लेकिन उन्हें पता है या ये कहें की जेहादियों से तो वो भी भयाक्रांत हैं इसलिए हिंदुओं पर अपना बल प्रयोग कर अपनी रक्षा का मार्ग बनाते हैं।
खैर अंत में बस यही कहेंगे कि खतरे को पहचानो ,उससे सुरक्षा के प्रबंध करो और हो सके तो उसे बढ़ें से रोको (पूर्ण बहिष्कार)।
महाभारत में पांडवों ने युद्ध को रोकने के अनेकों प्रयास किए लेकिन अंततः उन्हें युद्ध की अनिवार्यता समझ आई और उन्होंने युद्ध की तैयारी की , दिव्यास्त्र जुटाए और धर्मयुद्ध युद्ध करके विजय प्राप्त की।
हर हर महादेव
मनीष भारद्वाज ✍️
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1- सभी समस्याएं कपूर की तरह उड़ जाएंगी यदि हिंदू इन बातों पर गंभीरता से ध्यान देना शुरू कर दे..
https://www.prashasaksamiti.com/2023/03/blog-post_154.html
2-वर्तमान स्थिति का समाधान "सठ सन विनय कुटिल सन प्रीति"