#न_भुलेंगे_न_भूलने_देंगे
दिनांक- 27/02/2002 | समय- सुबह 7:43
ट्रेन- साबरमती एक्सप्रेस | कोच नं.- S-6
स्टेशन- गोधरा जंक्शन
👉 आज ही के दिन 27 फरवरी 2002 को अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवको को जिहादी दंगाईयो द्वारा गुजरात के गोधरा स्टेशन पर जिंदा जला दिया गया था इसके साथ ही इस वीभत्स नरसंहार में 48 रामभक्त घायल भी हुए थे।
🙏 उन सभी अमर हुतात्माओ को पुण्यतिथि पर भावपूर्ण श्रधांजलि।
समिति की तरफ से छोटिसी से प्रस्तुति केवल दंगे क्यों दंगे के कारण भी याद रहने चाहिए " ना भूलेंगे , ना भूलने देंगे" dont font
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👉 27 फरवरी 2002 गोधरा कांड जब कारसेवको को मारने के लिए ट्रेन को जलाने की कई दिनों से योजना बन रही थी।
👉 साबरमती ट्रेन हादसे में मौत की सजा प्राप्त अब्दुल रजाक कुरकुर के अमन गेस्ट हाउस पर ही कारसेवको को जिन्दा जलाने की कई हफ़्तों से योजना बनी थी ... इसके गेस्टहाउस से कई पीपे पेट्रोल बरामद हुए थे |
👉 पेट्रोल पम्प के कर्मचारीयो ने भी कई मुसलमानों को महीने से पीपे में पेट्रोल खरीदने की बात कही थी और उन्हें पहचान परेड में पहचाना भी था ..
👉 पेट्रोल को सिगनल फालिया के पास और अमन गेस्टहाउस में जमा किया जाता था |
👉 गोधरा से तत्कालीन सहायक स्टेशन मास्टर के द्वारा वडोदरा मंडल ट्रेफिक कंट्रोलर को भेजी गयी गुप्त रिपोर्ट ::-
गोधरा के तत्कालीन सहायक स्टेशन मास्टर राजेन्द्र मीणा ने वडोदरा मंडल के ट्रेफिक कंट्रोलर को आरपीएफ के गुप्तचर शाखा के जानकारी के आधार पर एक रिपोर्ट भेजी थी जिसमें उन्होंने कहा था कि गोधरा आउटर पर किसी भी सवारी ट्रेन को रोकना और खासकर अयोध्या जाने वाली या आने वाली साबरमती एक्सप्रेस को रोकना बहुत खतरनाक होगा क्योकि कुछ संदिग्ध लोग कारसेवको को नुकसान पहुचाने की योजना बना रहे हैं,
उन्होंने लिखा था कि ट्राफिक को इस तरह से कंट्रोल किया जाए कि साबरमती ट्रेन को आउटर पर रुकना न पड़े..
👉 गौरतलब है कि जिस जगह यानी सिगनल फलिया पर साबरमती ट्रेन को जलाया गया था ठीक उसी जगह पर 28 November 1990 को पाँच हिन्दू टीचरों को जलाकर मारा गया था जिसमें दो महिला टीचर थी ..इस केस में भी बीस मुसलमानों को आरोपी पाया गया था...
😞 इस ट्रेन में जलने से 58 लोगो को मौत हुई | 25 औरते और 19 बच्चे भी मारे गये |
🤨 उस समय ट्रेन की चैन खींचने के बाद एक भीड़ हथियारों से लैस होकर ट्रेन की तरफ बढ़ती रही | हथियार भी कैसे लाठी डंडा नहीं बल्कि तलवार, गुप्ती, भाले, पेट्रोल बम्ब, एसिड बल्ब्स और पता नहीं क्या- क्या |
👉 भीड़ को देख कर ट्रेन में सवार यात्रियों ने खिड़की और दरवाजे बंद कर लिए पर भीड़ में से जो अन्दर घुस आए थे वो कार सेवको को मार रहे थे और उनके सामानों को लूट रहे थे और साथ ही बहार खड़ी भीड़ मारो-काटो के नारे लगा रही थी, फिर अचानक बोगी को बाहर से बैंडकी गया और जेहादियों द्वारा पेट्रोल छिड़क कर बोगी को आग के हवाले कर दिया गया
👉 अंदर से आग से झुलसते बच्चों औरतों सहित सभी की दिल दहला देने वाली चीख और बाहर से मुसलमानों की हैवानी हंस की आवाज, अंतत जेहादियों ने 58 लोगों को मौत के घाट उतार दिया ।
👉लेकिन इसके बाद दूसरा पड़ाव शुरू हुवा और आक्रोशित हिंदुओं का तांडव हुवा और जेहादियों का संहार.. जो की वास्तव में क्रिया की प्रतिक्रिया था , लेकिन सभी कथित बुद्धिजीवी अब केवल दूसरे पार्ट को भुनाते हैं और हिंदुओं, मोदी आदि को दोषी करार देते हैं तथा जेहादियों की हैवानियत को छुपा देते हैं।
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