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श्रद्धालुओं का संगम नोज पर जाकर घंटों रुककर मौनी अमावस्या की सुबह का इंतज़ार करना और अखाड़ों को देखने के लिए संगम तट पर रुकना था।
पब्लिक पूरी रात संगम तट पर कंबल ओढ़कर बैठी रही या सोई रही।
पब्लिक ने प्रशासन के उस अनाउंसमेंट को सिरे से नकार दिया जिसमें मेला अधिकारी कह रहे थे कि - "मौनी अमावस्या का स्नान संध्या 7.40 से प्रारंभ हो चुका है कृपया आप लोग जल्द नहाएं और यहाँ से प्रस्थान करें, ताकि बाहर खड़े लोग भी स्नान कर सकें।" किंतु इस पर पब्लिक की प्रतिक्रिया शून्य थी।
तत्पश्चात ट्रैफिक पुलिस ने सारे पीपा पुल (ड्रम पुल) बंद कर दिए ताकि और भीड़ गंगा के तट पर न आ जाए।
किंतु इससे बाहर खड़ी जनता नाराज़ हो गई और पुलिस से गाली- गलोच तक करने लगी, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वाइरल हुए हैं।
अखाड़ों को देखने और पर्यटन के लिहाज से आए बड़ी संख्या में लोग किसी भी असुविधा को लेकर नाराज हो रहे थे और अखाड़ों को देखने की जिद कर रहे थे।
अतः बैरक पर खड़ी भीड़ और उस पर लगातार चढ़ते लोगों की वजह से पुल टूट गया।
इसके साथ ही पब्लिक घबराकर उल्टी दिशा में याने आने वाले मार्ग पर भागने लगी, जिसके कारण भगदड़ की सघनता और बढ़ गई।
प्रशंसनीय है कि पुलिस और प्रशासन ने इस घटना को गजब की फुर्ती से कंट्रोल लिया।
70 के करीब एम्बुलेंस दौड़ पड़ी और सभी घायलों को मेला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट किया गया।
कुछ ही मिनटों में एम्बुलेंस के लिए ग्रीन कॉरिडोर बना दिया गया, प्रशासन और अस्पताल का कोऑर्डिनेशन भी कमाल का था जिससे कि हादसे को तुरंत संभाल लिया गया।
श्रद्धालुओं को नहाकर लौटने के लिए लगातार एनाउंसमेंट किये किये गये किंतु इस सबके बावजूद 70% पब्लिक नहाने के बाद लौटने और हिलने को तैयार नहीं थी, बल्कि वे अब और आराम से घूम रहे थे क्योंकि पूरा एरिया सील कर दिया गया था।
वे सब अखाड़ों, आचार्यों और नागाबाबा के अखाड़ों का स्नान देखना चाहते थे।
आखिरकार प्रशासन के द्वारा - "अखाड़ों से एनाउंसमेंट करवाया गया कि - अब अखाड़े अपना स्नान कैंसल कर रहे हैं।
इस एनाउंसमेंट के बाद 3 - 4 घंटे में पूरा संगम नोज सामान्य हो गया और पीपे के पुल और अन्य सड़कों को पुनः खोल दिया गया।
अब स्थिति पूर्णतः कंट्रोल में है। कृपया अफवाहें फैलाने से बचें क्योंकि भय की कोई सिथति नहीं है।
गंगा मैया की कृपा है कि - किसी बहुत बड़े हादसे की आस में बैठी पिशाची आत्माएं निराश हुई हैं।
वर्तमान स्थिति को देखते हुए 10 करोड़ श्रद्धालुओं का स्नान सफलतापूर्वक हो सकेगा ऐसी आशा है।
जनता को समझना होगा आज का पर्व साधारण माघ स्नान का दिन नहीं है। और वे जिस भी घाट के नजदीक हैं वहीं स्नान करें और पुण्य कमाएं।
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संगम नोज पर मात्र 1से 5% लोग ही पहुंच कर डुबकी लगा पाएंगे। संगम के तीर पर बने 44 घाटों में कहीं पर भी स्नान करने से वही पुण्य मिलेगा जो संगम पर स्नान करने से मिलता है।
अब स्थिति बिल्कुल सामान्य है और लोग नहाकर संगम से लौट रहे हैं।
यह घोषणा भी हो गई है कि - सभी अखाड़े पूर्ववत शाही स्नान करेंगे।
सभी मित्रों से अनुरोध है बिस्तरों में बैठे- बैठे टिप्पणी करने वालों से और बिकाऊ सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भयावह स्थितियों की रिपोर्टिंग और अफवाहों पर भरोसा न करें।
अंत में पुनः अनुरोध है कि कृपया प्रशासन के सुझाव और आदेशों को मानिये तथा मेला क्षेत्र को सुव्यवस्थित बनाए रखने में सहयोग कीजिए।
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साभार
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