तेजस्वी यादव का कहना था कि बिमार पड़ोगे तो मंदिर जावोगे या अस्पताल | आज जब एक प्राचीन शिक्षा का केन्द्र जिसे 800 साल पहले
आकारताओ ने जला कर राख कर दिया गया था उसे आज पुन: खोल दिया गया है |
चाहते तो कांग्रेस की पुर्व सरकारे भी खोल सकती थी लेकिन अपने एक खास वर्ग को नाराज करके विश्वविद्यालय की राख मे दबी हुई चिंगारी से अपना हाथ जलाने का साहस नही कर सकी थी क्योकि उसके पास मोदी जी जैसा साहस नही था और ना ही अभी भी साहस है | इसी तरह से बख्तियारपुर जंक्शन को नालंदा जंक्शन किया जाय |
आक्रमणकारी विध्वंशकारी निर्दयी कातिल लोगो का नाम इतिहास से मिटाना जरूरी है |