अबे बड़ा मजाक तो ये हैं की जो मानसिकता त्योंहार के नाम पर करोड़ों बेजुबान जानवरों को तड़पा तड़पा के काटकर मार डालती है उसे लोग शान्ति प्रिय कहते हैं और उनसे मानवता की अपेक्षा रखते हैं। कुछ लोग ट्विटर पर ट्रेंड करके इनसे बेजुबान जानवरो की हत्या ना करने के लिए बोल रहे हैं वो भी बेचारे बड़े भोले हैं जो ये सोचते हैं की ये मानसिकता इनकी बात को रत्ती भर भी मानेगी... ईश्वर बेजुबान जानवरों को रक्षा करे और उन्हें तड़पा तड़पा कर मरने वालों को वैसे ही मौत प्रदान करे ...तड़पा तड़पा का #AllEyesOnGoat
AllEyesOnGoat ना जाने कितने बेजुबान जानवर तड़पा तड़पा कर मारे जाएंगे, और लोग खुशियां मनाएंगे
June 17, 2024
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बेजुबान जानवरों की नृशंस हत्या की जाएगी उन्हें तड़पा तड़पा कर मौत के घाट उतारा जाएगा और इस क्रूरता से खुशियां मनाई जाएंगी और फिर वो लोग #HappyEid और #EidMubarak बोलेंगे जो होली के रंगों से जानवरों की तकलीफ का रोना रोते हैं, दीपावली के पटाखों से कुत्तों के डरने का दर्द दिखाते हैं। ये कैसा दोगलापन है? आखिर क्यों इन धूर्त लोगों को करोड़ों जानवरों का दर्द नहीं दिखता जो त्योंहार की खुशियों के नाम पर काट दिए जाते हैं...? किसी के दुख में खुशियां आखिर इसमें कुरीति क्यों नहीं नजर आती लोगों को?