VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचाग
"गीता अध्याय 10 श्लोक 11
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया रात्रि 09:09 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅दिनांक - 11 फरवरी 2024
⛅दिन - रविवार
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - शिशिर
⛅मास - माघ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - शतभिषा शाम 05:39 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
⛅योग - परिघ सुबह 10:39 तक तत्पश्चात शिव
⛅राहु काल - शाम 05:08 से 06:33 तक
⛅सूर्योदय - 07:15
⛅सूर्यास्त - 06:33
⛅दिशा शूल - पश्चिम
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:34 से 06:25 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:19 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - गुप्त नवरात्रि, माँ ब्रह्मचारिणी पूजा, चन्द्र दर्शन (शाम ६::२० से ०७:५५ तक)
⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹गुप्त नवरात्रि : 10 फरवरी से 18 फरवरी🌹
🌹 नवरात्रि की द्वितीया तिथि (11 फरवरी) पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं । इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है । साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं ।
🌹 नवरात्रि की द्वितीया तिथि यानी दूसरे दिन माता दुर्गा को शक्कर का भोग लगाएं । इससे उम्र लंबी होती है ।
🔹लक्षमी प्राप्ति साधना🔹
🌹 श्रीमद् देवीभागवत में वर्णित नवरात्रि में जप से श्रेष्ठ लक्ष्मीप्राप्ति का दुर्लभ मंत्र ।
🌹 नवरात्रि में मंत्र जप से श्रेष्ठ लक्ष्मी - प्राप्ति होती है । इस मंत्र से लक्ष्मी जी महालक्ष्मी होकर भोग और मोक्ष देनेवाली बनती है ।
मंत्र - "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा"
🔹गृहस्थ-जीवनोपयोगी बातें🔹
🔹महाभारत में आता है :
१] जो धर्म एवं कल्याण-मार्ग में तत्पर हैं और मोक्ष के विषय में जिनका निरंतर अनुराग है वे विवेकी हैं ।
२] जो अपने घर पर आ जाय उसे आत्मीयताभरी दृष्टी से देखें, उठकर उसके लिए आसन दें, मन से उसके प्रति उत्तम भाव रखें, मधुर वचन बोले । यह गृहस्थियों का सनातन धर्म है । अतिथि को आते देख उठकर उसकी अगवानी और यथोचित रीति से आदर-सत्कार करें ।
३] प्यासे को पानी, भूखे को भोजन, थके-माँदे को बैठने के लिए आसन और रोग आदि से पीड़ित मनुष्य के लिए सोने हेतु शय्या देनी चाहिए ।
४] गृहस्थ के भोजन में देवता, पितर, मनुष्य एवं समस्त प्राणियों का हिस्सा रखा जाता है ।
५] नित्य प्रात: एवं सायंकाल कुत्तों और कौओं के लिए पृथ्वी पर अन्न डाल दें ।
६] निकम्मे पशुओं की भी हिंसा न करें और जिस वस्तु को विधिपूर्वक देवता आदि के लिए अर्पित न करें, उसे स्वयं भी न खायें ।
७] यज्ञ, अध्ययन, दान, तप, सत्य, क्षमा, मन और इन्द्रियों का संयम तथा लोभ का परित्याग – ये धर्म के ८ मार्ग हैं ।
🔸पूर्णतया संकल्पों को एक ध्येय में लगा देने से, इद्रियों को भली प्रकार वश में कर लेने से, अहिंसा आदि व्रतों का अच्छी प्रकार पालन करने से, भली प्रकार सदगुरु की सेवा करने से, कर्मों को भलीभाँति भगवतसमर्पण करने से और चित्त का भली प्रकार निरोध करने से मनुष्य परम कल्याण को प्राप्त होता है ।
🔹 रविवार विशेष🔹
🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔹 रविवार के दिन आँवला, मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।
🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना एवं पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।
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