मिशनरी स्कूलों में धर्मांतरण का खेल मुख्यतः चलाया जाता है ऐसी बातें अनेकों बार सामने आ चुकी है लेकिन हिंदुओं को इन्हीं मिशनरी स्कूलों में अपने बच्चों का उज्जवल भविष्य नजर आता है। अब किस्सा उत्तर प्रदेश के बरेली से आया जहां मिशनरी स्कूल में हिंदू बच्चों के रक्षा कवच अर्थात राखी और कलावा टीचर ने कैंची से काट दिए। टीचर का नाम है शगुफ्ता अंसारी जो "विज्ञान" की शिक्षक हैं, अब सोचिए ऐसी सोच के सिक्षक विज्ञान पढ़ाएंगे तो बच्चे क्या बनेंगे?
गलती तो हिंदुओं की ही है जो अब तक सो रहे हैं और धर्मद्रोहियों के एजेंडों को समझ नहीं रहे। मिशनरी स्कूलों के अनेकों कारनामे जो इनकी सोच और एजेंडे को उजागर करते हैं वो सामने आ चुके जैन लेकिन हिंदू इस बात को समझना ही नहीं चाहते...। जानकारी के अनुसार इस स्कूल में बच्चों को बाइबल पढ़ाई जाती है लेकिन जय श्री राम प्रतिबंधित है अब आप सोचिए ऐसी स्कूलों में आपके बच्चों को आप पढ़ रहे हैं तो उन्हें क्या ज्ञान मिलेगा? क्या आप खुद उनके मानसिक धर्मांतरण के लिए उन्हें मिशनरी स्कूलों में भेजने का पाप तो नहीं कर रहे🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸Break 🔸🔸🔸🔸🔸 🔸🔸
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उत्तर प्रदेश के बरेली के एक मिशनरी स्कूल में छात्रों की राखी कैंची से कटवाने का मामला सामने आया है। कथित तौर पर छात्रों से कहा गया कि स्कूल में हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार नहीं किया जा सकता है। अभिभावाकों और हिंदू संगठनों के विरोध के बाद स्कूल ने माफी माँग ली है।
इस स्कूल का नाम होली फैमिली कॉन्वेंट स्कूल है। स्कूल बरेली के आंवला सर्किल क्षेत्र के भमोरा रोड पर स्थित है। छात्रों की राखी काटने की घटना सोमवार (28 अगस्त 2023) की है। रिपोर्टों के अनुसार कुछ छात्र सोमवार को राखी बाँधकर स्कूल आए थे। इसकी जानकारी मिलने के बाद एक शिक्षिका ने कैंची मँगवाकर छात्रों की राखी और कलावा काट दी।
प्रदर्शनकारियों ने इसके लिए शगुफ्ता अंसारी नाम की एक शिक्षिका को जिम्मेदार बताया है। बताया है कि वह इस स्कूल में बच्चों को विज्ञान पढ़ाती है। हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने ऑपइंडिया को बताया है कि इस स्कूल का संचालन केरल का कोई ईसाई करता है। हालाँकि उसके बारे में विस्तार से वे हमें जानकारी नहीं दे पाए।
स्कूल से घर जाने के बाद छात्रों ने राखी काटे जाने की घटना के बारे में अपने अभिभावकों को बताया। पीड़ित छात्रों के परिजन अगले दिन 29 अगस्त को शिकायत ले कर स्कूल पहुँचे। मामले की जानकारी हिन्दू संगठनों को हुई तो वे भी अभिभावकों के साथ विरोध-प्रदर्शन में शामिल हो गए। स्कूल के सामने हो रहे हंगामे की सूचना पर पुलिस पहुँची। इस बीच स्कूल प्रशासन ने अपनी गलती मानी और लिखित तौर पर भविष्य में दोबारा ऐसी गलती न होने का आश्वासन दिया। लिखित आश्वासन के बाद हिन्दू संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन खत्म कर दिया।
विरोध-प्रदर्शन में शामिल हरेंद्र फौजी ने मिशनरी स्कूलों पर धर्म परिवर्तन का एजेंडा चलाने का आरोप लगाया। होली फैमिली स्कूल में हुई घटना को भी उन्होंने इसी का हिस्सा बताया। एक अन्य प्रदर्शनकारी आशीष ने कहा कि स्कूल के अंदर क्रिसमस का सेलिब्रेशन 15 दिनों तक चलता है। लेकिन इसका हिन्दू समाज विरोध नहीं करता। अब भविष्य में किसी हिंदू छात्र को प्रताड़ित किया गया तो स्कूल बंद करवा दिया जाएगा।
स्कूल में बाइबिल की पढ़ाई, लेकिन जय श्री राम प्रतिबंधित
विरोध-प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले बरेली के सामाजिक कार्यकर्ता ओमेंद्र पाल से ऑपइंडिया को बताया कि स्कूल में कई हिन्दू बच्चों को उनकी मर्जी के खिलाफ स्कूल में बाइबिल पढ़ाई जाती है। लेकिन जय श्रीराम बोलना प्रतिबंधित है। उन्होंने स्कूल का प्रबंधक केरल के किसी ईसाई को बताया। उनके अनुसार बच्चों की राखियाँ उतरवाने वाली टीचर मुस्लिम है। उसके शौहर कपड़ा व्यवसायी हैं।
हिन्दू संगठन से जुड़े सुनील सौरभ ने बताया कि शगुफ्ता मैडम ने स्कूल की मैनेजमेंट कमेटी में शामिल सिस्टर एंजोज के कहने पर छात्रों की राखी काटे थे। ओमेंद्र पाल का यह भी कहना है कि होली फैमिली स्कूल में अक्सर छात्रों को कलावा और तिलक लगाने पर टोका जाता है। माफीनामे पर स्कूल की उप प्रधानाचार्या सिस्टर सोफी मारिया के हस्ताक्षर हैं। ऑपइंडिया के पास माफीनामे की कॉपी मौजूद है।