GOOD NIGHT #शुभ_रात्रि
दूसरे के द्वारा तुम्हारा थोड़ा सा भी भला हो अथवा तुम्हें सुख पहुंचे तो उसका हृदय से उपकार मानो, ऐसा न सोचो कि उसका मेरे ऊपर क्या उपकार है, वह तो निमित्त मात्र है।
बल्कि यह जानो कि उसने निमित्त बनकर तुम पर बड़ी ही दया की है। उसके उपकार को जीवन भर याद रक्खो। समय बदल जाने से उसे भूल न जाओ और सदा उसकी सेवा करने और सुख पहुंचाने का प्रयास करते रहो। काम पड़ने पर हजारों मनुष्यों के सामने भी उसका उपकार स्वीकार करने में संकोच न करो।
ऐसा करने से परस्पर प्रेम पैदा होता रहेगा, आनन्द और शान्ति की वृद्धि होगी। लोगों से दूसरों को सुख पहुंचाने की शक्ति और आधिकाधिक पैदा होगी। सहानुभूती और सेवा भाव उत्पन्न होंगे। याद रक्खो, सेवा करके जो मनुष्य लोगों की निगाह में कृतज्ञ होता है उसका आदर्श कभी नहीं गिरता है। सेवा की भावना और प्रबल हो उठती है और उसका सहायक सदा परमात्मा रहता है जो उसे अपनी शक्ति से प्रोत्साहन देता रहता है।
हमें जो दूसरों में दोष दिखाई देते हैं उसका मुख्य कारण हमारी चित्त की दूषित भावना ही होती है। अपने चित्त को निर्दोष बना लो फिर संसार में दोषी बहुत ही थोड़े दीखेंगे। सदा अपने दोषों को देखने की आदत डालो। बड़ी ही होशियारी से अपने मन के दोषों को देखो। तुम्हें मालूम होगा कि तुम्हारा मन दोषों से भरा है। फिर तुम्हारी यह दशा होगी कि दूसरों के पापों के देखने की फुरसत ही नहीं मिलेगी। जीवन बहुत थोड़ा है, सबसे प्रेम पूर्वक हिलमिलकर चलो और सबसे शुद्ध बर्ताव करो। मधुर वाणी का विस्तार करते जाओ, विष की बून्द कहीं न डालो। तुम्हारा प्रेम पूर्ण व्यवहार अमृत, और द्वेष पूर्ण व्यवहार विष है।
यदि क्षण भर के लिए कोई मनुष्य तुमसे मिले तो अपने प्रेम पूर्ण सरल व्यवहार से उसके हृदय में अमृत भर दो। होशियार रहो, तुम्हारे पास से कोई विष न ले जाय। हृदय से विष निकाल कर अमृत भर लो। पग-पग पर केवल वहीं अमृत वितरण करो। जाति, वर्ण, विद्या, धन या पद में तुम बड़े हो, इसलिए तुम अपने को बड़ा मत समझो।
हमेशा याद रक्खो सबमें एक ही प्रभु रह रहा है। व्यवहार मे सब प्रकार की समता असम्भव और हानिकारक है, इससे व्यवहार में आवश्यकतानुसार विषमता रखते हुए भी मन में समता रक्खो। आत्म रूप से सबको एक ही समान मानो।
किसी को अपने से छोटा समझकर उससे घृणा न करो, और अपने बड़प्पन का अहंकार ही न आने दो। बड़ा और उच्च वही है जो अपने को समसे छोटा मानता है। इस मंत्र को सदा याद करते रहो। परमात्मा सदा तुम्हारे साथ है, इस बात को किसी काल में मत भूलो। परमात्मा को साथ जानने का भाव तुम्हें निर्भय और निष्पाप बनाने में मददगार होगा। यह संकल्प नही है, सचमुच ही परमात्मा सर्वदा सबके साथ हाजिर नाजिर है।
परमात्मा की सत्ता पर पूर्ण विश्वास रक्खो, जिस दिन परमात्मा की सत्ता का पूर्णविश्वास हो जायेगा, उस दिन तुम पाप रहित होकर परमात्मा के सम्मुख पहुंच जाओगे।
. 🚩जय सियाराम 🚩
. 🚩जय हनुमान 🚩